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(१२ए) विरठ कलावसों मुज कीया. खबरन पावोतोधिगमेराजीया दही वायदो जो बतावै मेरा को
पीया, आवे आनंदघन करूं घर दीया
॥नो ॥४॥ ॥ पद चमोतेरमुं॥राग वसंत ॥ या कुबुद्धिकुमरी कौन जात, जहां रीजे चेतन ग्यान गात ॥
या ॥१॥
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