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||पद बासवमुं । राग प्राशावर || ॥ साधु भाइ अपना रूप जब देखा ॥ साधु० ॥
करता कौन कौन फुनी करनी, कौन मागेगो लेखा ॥ साधु ० ॥ २ ॥ साधुसंगति अरु गुरुकी कृपातें, मिट गइ कुलकी रेखा ॥ आनंदघन प्रभु परचो पायो, उतर गयो दिल मेखा ॥ साधु० ॥ २ ॥
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