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(१०४) पाणी नव नेजा दो। कौन हबीब तबीब है, टारे कर करेजा दो॥पी॥३॥ गाल दथेली लगायके, सुरसिंधु समेली दो॥
असुअन नीर वहायकें, सिंचं कर वेली दो॥पी०॥४॥
श्रावण नाउँ घनघटा, विच वीज ऊबूका दो॥ सरिता सरवर सब नरे, मेरा घटसर सब सूका हो।पी०५
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