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॥ पद एकसठमुं ॥ ॥ राग जयजयवंती ॥ मेरीसुं तुमतें जु कहा, दूरी के दो सबै री ॥ मे० ॥ २ ॥ रूठेसें देख मेरी,
मनसा दुःख घेरी री ॥ जाके संग खेलो सो तो,
जगतकी चेरी री ॥ मे० ॥ २ ॥
शिर बेदी यांगे धरे, और नहीं तेरी री ॥ आनंदघन कीसो,
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