SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 144
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - श्री लोकाशाह मत-समर्थन १०३ ********************************************** है, इस प्रकार यह पुष्प पूजा स्पष्ट (प्रत्यक्ष) महाव्रतों की घातक है, ऐसी महाव्रतों के मूल में कुठाराघात करने वाली पूजा का उपदेश, आदेश और अनुमोदन महाव्रती श्रमण तो कदापि नहीं कर सकते। न हिंसा में दया बताने वाला पापयुक्त लेख ही लिख सकते हैं। इन बेचारे निरपराध पुष्प के जीवों के प्रथम तो भोगी और इत्र तेलादि बनाने वाले ही शत्रु थे, जिनसे रक्षा पाने के लिए इनकी दृष्टि त्यागियों पर थी, क्योंकि जैन के त्यागी श्रमण छह कायजीवों के · रक्षक, पीहर होते हैं, वे स्वयं हिंसा नहीं करते हैं इतना ही नहीं किन्तु हिंसा करने वालों से भी जीवों की रक्षा कराने का प्रयत्न करते हैं, अतएव त्यागी महात्मा ही भोगियों को उपदेश देकर हमारी रक्षा का प्रयत्न करेंगे ऐसी आशा थी किन्तु जब स्वयं त्यागी कहलाने वाले भी कमर कसकर पुष्पों की अधिक अधिक हिंसा करवा कर उसमें धर्म बतावें, तब वे बेचारे कहां जावें? किसकी शरण लें? यह तो दुधारी तलवार चली, पहले तो भोगी लोग ही शत्रु थे और अब तो त्यागी कि जिनसे रक्षा की आशा थी-वे भी शत्रु हो गये। भोगी लोगों में से बहुत से तो फूलों को तोड़ने में हिंसा ही नहीं मानते और कितने मानते हों तो वे भी अपने भोगों के लिए तोड़ते हैं, किन्तु उसमें धर्म तो नहीं मानते, पर आश्चर्य तो यह है कि - सर्व त्यागी पूर्ण अहिंसक कहलाने वाले ये त्यागी लोग फूलों को तोड़ने तुड़वाने में हिंसा तो मानते हैं किन्तु इस हिंसा में भी धर्म (दया) होने की-विष को अमृत कहने रूप-प्ररूपणा करते हैं। इस पर से तो कोई भी सुज्ञ यह सोच सकता है कि - "अधिक पातकी (पापी) कौन है? ये कहे जाने वाले त्यागी या भोगी? पाप को पाप, झूठ को झूठ, खोटे को खोटा कहने वाला तो सच्चा सत्य वक्ता है, किन्तु पाप Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003679
Book TitleLonkashah Mat Samarthan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2002
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy