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________________ श्री लोकाशाह मत - समर्थन ३१. क्या पुष्पों से पूजा पुष्पों की दया है? १०१ प्रश्न - पुष्पों से पूजा करना पुष्पों की दया करना है। क्योंकि यदि उन पुष्पों को वेश्या या अन्य भोगी मनुष्य ले जाते तो उनके हार गजरे आदि बनाते, शैय्या सजा कर ऊपर सोते, सूंघते तथा इत्र तेल आदि बनाने वाले सड़ा गला कर भट्ठी पर चढ़ाते, इस प्रकार पुष्पों की दुर्दशा होती। इसलिए उक्त दुर्दशा से बचाकर प्रभु की पूजा में लगाना उत्तम है, इससे वे जीव सार्थक हो जाते हैं, यह उनकी दया ही है (सम्यक्त्व शल्योद्धार) और आवश्यक सूत्र में 'महिया' शब्द से फूलों से पूजा करने का भी कहा है, यह स्पष्ट बात तो आप भी मानते होंगे ? उत्तर उक्त मान्यता मिथ्यात्व पोषक और धर्म घातक है, इस प्रकार भोगियों की ओट लेकर मूर्तिपूजा को सिद्ध करना और उसमें होती हुई हिंसा को दया कहना यह तो वेद विहित हिंसा का अनुमोदन करने के समान है । जो लोग हिंसा करके उसमें धर्म मानते हैं उन्हें यज्ञ में होती हुई हिंसा को हेय ( छोड़ने योग्य) कहने का क्या अधिकार है ? वे भी तो उन जीवों को खाने के लिए मारने वालों से बचा कर यज्ञ में होम कर देव पूजा करना चाहते हैं? और उसी प्रकार उन जीवों को भी स्वर्ग में भेजना चाहते हैं ? महानुभावो! पक्ष व्यामोह के वंश होकर क्यों हिंसा को प्रोत्साहन देते हो ? आपकी पुष्प पूजा में उक्त दलील को सुन कर जब याज्ञिक लोग आपसे पूछेंगे कि 'महाशय ! हमको खोटे बताने वाले आप खुद देव पूजा के लिए हिंसा करके उसमें धर्म कैसे मानते हो? मार डालने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org -
SR No.003679
Book TitleLonkashah Mat Samarthan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2002
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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