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भौगोलिक नक्शे
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है और जो गाय का उदाहरण दिया गया है वह भी उल्टा प्रश्नकार के ही विरुद्ध जाता है, क्योंकि -
जिस प्रकार गाय के नाम रटन मात्र से दूध नहीं मिल सकता, उसी प्रकार पत्थर, मिट्टी या कागज पर बनी हुई गाय से भी दूध प्राप्त नहीं हो सकता। यदि हमारे मूर्ति-पूजक बन्धु इस उदाहरण से भी शिक्षा प्राप्त करना चाहें तो सहज ही में मूर्ति-पूजा का यह फन्दा उनसे दूर हो सकता है। किन्तु ये भाई ऐसे सीधे नहीं, जो मान जाय, ये तो नाम से दूध मिलना नहीं मानेंगे, पर गाय की मूर्ति से दूध प्राप्त करने की तरह मूर्ति-पूजा तो करेंगे ही।
__ साक्षात् भाव निक्षेप रूप प्रभु की आराधना साक्षात् गाय के समान फलप्रद होती है, किन्तु मूर्ति से इच्छित लाभ प्राप्त करने की आशा रखना तो पत्थर की गाय से दूध प्राप्त करने के बराबर ही हास्यास्पद है। अतएव बेसमझी को छोड़ कर सत्य मार्ग को ग्रहण करना चाहिये।
१४. भौगोलिक नक्शे प्रश्न - जिस प्रकार द्वीप, समुद्र, पृथ्वी आदि का ज्ञान नक्शे द्वारा सहज ही में होता है, भूगोल के चित्र पर से ग्राम, नगर, देश, नदी समुद्र रेल्वे आदि का जानना सुगम होता है, उसी प्रकार मूर्ति से भी साक्षात् का ज्ञान होता है ऐसी स्पष्ट बात को भी आप क्यों नहीं मानते?
उत्तर - मात्र मूर्ति ही साक्षात् का ज्ञान कराने वाली है यह बात असत्य है। क्योंकि अनपढ़ मनुष्य तो नक्शे को सामान्य रद्दी कागज से अधिक नहीं जान सकता, किसी अनपढ़ या बालक के
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