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कार्य किया है। 1984 में " इण्डोलाजीकल टाउरिनसिया " पुस्तक प्रकाशित हुई है, जिसमें क्लौस त्रुहन , गुस्तेव रोथ , कोलेट कैया , के आर नारायण , नलिनी बलवीर , कोलेन मेरोफर, जीन फिलोजाट आदि विद्वानों के जैन कथा साहित्य पर विशेष शोध आलेख प्रकाशित हुए हैं। प्रो. फाइलिस ग्रानोफ की पुस्तक मोंक्स एण्ड मेजिसियनस्- रिलीजियस बाईयोग्राफीस् इन एशिया " 1989 में प्रकाशित हुई , उसमें जैन इतिहास की अच्छी सामग्री है। 1988 में विलियम बी. बोली की सूयगडाओ पुस्तक प्रकाशित हुई है। गुस्तव रोथ ने 1983 में ज्ञाताधर्मकथा की मल्लीकथा पर पुस्तक जर्मनी से प्रकाशित की है।
हारवर्ड विश्वविद्यालय में जेन अध्ययन पर कार्यशाला
___ 23 से 25 मार्च 1990 को सेन्टर फार द् स्टडी आफ वर्ल्ड रिलीजन्स , हारवर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका द्वारा जैन अध्ययन कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें अमेरिका , कनाडा और इंगलैण्ड आदि के विद्वानों ने जैनधर्म के विभिन्न पक्षों पर अपने आलेख प्रस्तुत किये। जाने ई कार्ट ( हारवर्ड वि.वि.) रफ स्आल ( शिकागो ), पाल डुनदास , (इडनवर्ग विश्वविद्यालय ) आदि विद्वानों ने भारत और विश्व के सन्दर्भ में जैनधर्म की समीक्षा की है।
पिट्सवर्ग (पेनसिलवानिया ) में आयोजित जैन सम्मेलन
1 से 4 जुलाई 1993 में पिट्सवर्ग ( अमेरिका) में JAINA का 7वाँ जैन सम्मेलन आयोजित हुआ । मध्यप्रदेश ( भारत ) के मुख्यमन्त्री श्री सुन्दरलाल पटवा सम्मेलन के मुख्य अतिथि थे । डॉ. कुमारपाल देशाई ( भारत ) ने विषय प्रवर्तन करते हुए जैनधर्म की परम्परा और उसके मूल्यों पर प्रकाश डाला । इस सम्मेलन का प्रमुख विषय था- - जैनधर्म – अतीत , वर्तमान और भविष्य । सान्ता बारबरा , केलिफोर्निया के प्रोफेसर डॉ. नोइल किंग ने नार्थ अमेरिका में जैनधर्म के इतिहास पर अपना व्याख्यान दिया तथा डेनीसन कालेज ओहिओ के प्रोफेसर जान कार्ट ने नार्थ अमेरिका में जैनिज्म पर प्रकाश डाला | डॉ. निखेल तोवियास (अहिंसा फिल्म के प्रोडयूसर ) डॉ. क्रामबेल क्राफोर्ड ( हवाई विश्वविद्यालय) जैसे दिग्गज विद्वानों ने भी जैनधर्म पर व्याख्यान दिए ।
शिकागो में आयोजित जैन सम्मेलन
28 जून से 2 जुलाई 1995 को JAINA का आठवां अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन शिकागो में आयोजित हुआ । इस सम्मेलन का प्रमुख विषय था -
प्राकृत और जैनधर्म का अध्ययन
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