SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 45
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन योग एवं साधना पर मद्रास में संगोष्ठी रिसर्च फाउन्डेशन फार जैनालोजी मद्रास के सहयोग से जैनालॉजी विभाग , मद्रास विश्वविद्यालय ने 22 एवं 23 जनवरी ,1993 को मद्रास में अखिल भारतीय संगोष्ठी का आयोजन किया इसका विषय था- जैन योग एवं साधना । पूज्य शिवमुनि जी महाराज के सान्निध्य में कुलपति डॉ. एस. सतीख ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की । संगोष्ठी में श्री बी. शेखर , डॉ. अशोक कुमार सिंह , डॉ. बी. सी. जैन सुश्री प्रिया जैन , डॉ , धरणेन्दैया , डॉ रविन्द्र कुमार जैन , सुश्री वर्षा मनीलाल आदि विद्वानों ने ईसाई , बौद्ध एवं जैनधर्म के परिप्रेक्ष्य में योग एवं साधना के विभिन्न पक्षों पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत किये । तमिलनाडु के डी. आई. जी. श्री एस. श्रीपाल ने समापन वक्तव्य दिया , जिसकी अध्यक्षता रजिस्ट्रार डॉ. पी. गोबादरजूलु ने की। संगोष्ठी का सफल संयोजन जैनोलोजी विभाग के अध्यक्ष डॉ एन. वसुपाल ने किया। संगोष्ठी के पूर्व इसी जैनोलोजी विभाग में धारवाड़ के प्रोफेसर डॉ. ए. एस. धरणेन्द्रैया ने 21 जनवरी 93 को जैन साइकोलाजी पर विस्तार व्याख्यान भी दिये । ये व्याख्यान महासती ताराबाई स्वामी व्याख्यानमाला के अन्तर्गत दिये गये । शाकाहार के दार्शनिक आयाम पर संगोष्ठी इण्डियन कौंसिल ऑफ फिलासोफिकल रिसर्च इंस्टीटयूट एवं राजस्थान विश्वविद्यालय के दर्शन विभाग के तत्वाधान में प्रो. दयाकृष्ण के निर्देशन में 5 व 6 जनवरी 1993 को शाकाहार के दार्शनिक आयाम विषय एक सेमिनार आयोजित किया गया , जिसमें लन्दन के प्रमुख दार्शनिक रिचर्ड सोबरावजी ने तीसरी शती के ग्रीक दार्शनिक पोरफरी की शाकाहार सम्बन्धी पुस्तक पर विशेष व्याख्यान दिया । इस सेमिनार में प्रो. वी. आर मेहता , डॉ. एम. के. सिंधी , डॉ. के. एल. शर्मा , डॉ. आर. एस. भटनागर , डॉ. सरला कल्ला , डॉ. योगेश गुप्ता , डॉ. लोकनाथन , राजकुमार जैन आदि विद्वानों ने भाग लिया । भगवान् ऋषभदेव की परम्परा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी पूज्या गणिनी आर्यिकाशिरोमणि ज्ञानमती माता जी के सान्निध्य में पावन तीर्थ अयोध्या में दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान हस्तिनापुर एवं अवध विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में 27 से 30 अक्टूबर 1993 तक एक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी । इस संगोष्ठी में भारतीय इतिहास , संस्कृति और 44 प्राकृत और जैनधर्म का अध्ययन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003677
Book TitlePrakrit aur Jain Dharm ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2000
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy