________________
1
प्राकृत भारती अकादमी, 13 - ए, मेनरोड़, मालवीय नगर, जयपुर प्राकृत भारती अकादमी जयपुर एक स्वयंसेवी पंजीकृत संस्था है । इसकी स्थापना 21 फरवरी 1977 को हुई थी । अकादमी का मुख्य उद्देश्य प्राकृत, संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाओं तथा अंग्रेजी में उपयोगी साहित्य का प्रकाशन है, जिससे कि यह साहित्य साधारण पाठक एवं विद्वानों तक पहुँच सके। प्राकृत भारती द्वारा अब तक 118 ग्रंथ प्रकाशित हुए हैं । इनमें से कई पुस्तकों के एकाधिक संस्करण भी प्रकाशित हो चुके हैं। वर्तमान में लगभग 10 पुस्तकें प्रति वर्ष प्रकाशित की जाती हैं । प्राकृत भारती की गतिविधियों में नियमित प्राकृत भाषा पाठ्यक्रम चलाना भी है । पत्राचार द्वारा जैनालाजी में एम. ए. की कक्षाओं का संचालन भी प्राकृत भारती अकादमी में होता है । इस अकादमी के संचालन में प्रो. कमलचन्द्र सोगानी, पं. विनयसागर एवं श्रीमान् डी. आर. मेहता आदि विद्वानों का विशेष योगदान है ।
जैन विश्व भारती संस्थान, लाडनूँ
जैन विश्व भारती संस्थान लाडनूं मुख्यतः जैनविद्या का अनुसंधान केन्द्र है। यहाॅ जैनविद्या एवं तुलनात्मक धर्म-दर्शन, प्राकृत एवं जैनागम अहिंसा अणुव्रत और शांति शोध जीवन विज्ञान, प्रेक्षाध्यान एवं योग और समाज कार्य जैसे रचनात्मक शैक्षणिक विभाग शोध की दिशा में गतिशील हैं । संस्थान जहां बिना सम्प्रदाय जाति पन्थ धर्म और वर्ग का भेद किए सबको समान
,
2- सुश्री सुधा जैन
3. समणी स्थितप्रज्ञा
4. श्री प्रद्युम्न शाह सिंह
5. श्री अनिल धर
24
"
"
Jain Education International
प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करता है वहां शोधार्थी को विशेष छात्रवृत्ति देकर उसे ज्ञानार्जन की दिशा में प्रोत्साहित भी करता है । संस्थान की स्थापना के बाद अनेक प्रतिभासम्पन्न छात्र छात्राओं को स्नातक, स्नातकोत्तर एवं पीएच. डी. की उपाधियों से अलंकृत कर संस्थान गौरवान्वित हुआ है । अब तक निम्नलिखित छात्र / छात्राओं को पीएच. डी. एवं डी. लिट् उपाधि के लिए योग्य घोषित किया गया है :
1- डॉ. प्रवीण सी. कामदार
"
"
Business ethics & Social
Responsibility: Perspectives
जैन योग और बौद्ध योग का तुलनात्मक अध्ययन सम्बोधि - एक समीक्षात्मक अध्ययन
जैन एवं बौद्ध न्याय का तुलनात्मक अध्ययन गांधी परवर्ती युग में अहिंसा प्रयोग एक समीक्षात्मक अध्ययन
प्राकृत और जैनधर्म का अध्ययन
For Private & Personal Use Only
·
www.jainelibrary.org