SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 1. प्राकृत-अपभ्रंश पाण्डुलिपियों का सर्वेक्षण एवं सूची-निर्माण । 2. प्राकृत अपभ्रंश की पाण्डुलिपियों का सम्पादन- अनुवाद । 3. सम्पादित प्रमुख मूल प्राकृत-अपभ्रंश ग्रन्थों का अनुवाद एवं समालोचनात्मक अध्ययन । 4. प्रकाशित प्राकृत-अपभ्रंश ग्रन्थों का समीक्षात्मक एवं तुलनात्मक अध्ययन | 5. प्राकृत-अपभ्रंश के ग्रन्थों में प्राप्त भारतीय इतिहास एवं समाज विषयक ___ सामग्री का संकलन एवं अनुवाद । 6. प्राकृत के शिलालेखों का सानुवाद संग्रह-संकलन एवं प्रकाशन । 7. प्राकृत कथाकोश एवं अपभ्रंश कथा-कोश ग्रन्थों का निर्माण । 8. प्राकृत भाषाओं का वृहत् व्याकरण ग्रन्थ का निर्माण । 9. प्राकृत बृहत् शब्दकोश का निर्माण एवं प्रकाशन । 10. जैनविद्या पर अद्यावधि प्रकाशित शोध-लेखों का सूची-करण । 11.प्राकृत कवि-दर्पण नामक कृति में प्रमुख प्राकृत कृतिकारों के व्यक्तित्व ___ एवं योगदान का प्रकाशन । 12. प्राकृत एवं भारतीय भाषाएं नामक पुस्तक का लेखन एवं प्रकाशन । 13. प्राकृत गाथाओं के गायन एवं संगीत पक्ष को उजागर करने के लिए प्राकृत गाथाओं के कैसेट तैयार करना ।। 14. प्राकृत कम्प्यूटर फीडिंग एवं प्राकृत लेंग्युएज लैब की राष्ट्रीय स्तर पर स्थापना एवं संचालन। 15. विश्वविद्यालयों में जैनविद्या एवं प्राकृत शोध विभागों की स्थापना एवं ___ स्थापित विभागों में पर्याप्त प्राध्यापकों की नियुक्तियां । 16. जैनविद्या एवं प्राकृत के विभिन्न स्तरों के शिक्षण एवं शोधकार्य के लिए ___ पर्याप्त छात्रवृत्तियों एवं शोधवृत्तियों की सुविधा प्रदान करना । 17. प्रतिवर्ष दो प्राकृत संगोष्ठियों की सुविधा प्रदान करना । 18. प्राकृत अध्ययन की पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन में सहयोग । 19. प्रति वर्ष प्राकृत-अपभ्रंश की कम से कम पांच नयी कृतियों का सम्पादन- प्रकाशन। 20. प्रतिवर्ष प्राकृत-अपभ्रंश एवं जैनविद्या के समर्पित विद्वानों का राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान। 21. विदेश में सम्पन्न प्राकृत- अपभ्रंश जैनविद्या के कार्यो में सहयोग प्रदान करना एवं उन कार्यो का सार-संक्षेप हिन्दी- अंग्रेजी में भारत में उपलब्ध कराना । प्राकृत और जैनधर्म का अध्ययन 13 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003677
Book TitlePrakrit aur Jain Dharm ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2000
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy