SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 90
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १. रूपान्तरण प्रकृति के गर्भ में जो कुछ भी है वह सब विकसनशील है । अणुअणु विकास कर रहा है। निगोद राशिमें पड़ा हुआ एक क्षुद्र stry विकासकी विविध श्रेणियाँ पार करते हुए एक दिन इन्सान बन जाता है, इन्सान भगवान् बन जाता है और अंकुर पल्लवित पुष्पित तथा फलित होकर वृक्ष बन जाता है । १४. विकास जिसे आप आज दोष कहते हैं वही कलको गुण बन जाते हैं । किसी भी वस्तुका निरन्वय नाश नहीं होता । केवल रूपान्तरण होता है, Transformation होता है । पर्याय ही बदलती है शक्ति नहीं । आपमें अनेकों शक्तियाँ हैं, सब आपको सम्पत्ति हैं. सब आपकी विभूति हैं । विवेक न होनेके कारण आप इनका अपव्यय कर रहे हैं, अथवा दुरुपयोग कर रहे हैं । अतः आपके द्वारा किया गया वह उपयोग ही अच्छा या बुरा है, आपकी शक्तियाँ नहीं । धनका उपयोग ही अच्छा बुरा है, धन नहीं । दानार्थं खर्च करनेपर वह अच्छा है और भोग-विलासके लिए खर्च करनेपर बुरा । - ७५ - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003676
Book TitleKarm Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendra Varni Granthmala
Publication Year1993
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy