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________________ २१-शरीर ११९ ऐसी भी मछलियाँ पाई गयी हैं जिनका सान्निध्य प्राप्त होनेपर व्यक्तिको बिजलीकी भाँति झटका ( Shock ) लगता है। इन सब लक्षणोंपर से बाहरके इस स्थूल या औदारिक शरीरके भीतर एक बिजलीके शरीरका अस्तित्व सिद्ध होता है। शास्त्रोंमें इसका उल्लेख तैजस शरीरके नामसे किया गया है। किसीके शरीरमें उसके लक्षण अधिक प्रभूत हैं और किसीके शरीरमें कम। ५. कार्मण शरीर तैजस शरीरके भीतर इससे भी अधिक सूक्ष्म एक अन्य शरीर है, जिसका उल्लेख शास्त्रोंमें कार्मण-शरीरके नामसे किया गया है। इसका निर्माण कार्मण नामवाली पंचम जातीय वर्गणाओंसे होता है। अत्यन्त सूक्ष्म होनेके कारण इसका लक्षण किसी भी प्रकारसे इन्द्रिय-पथमें आना सम्भव नहीं। परन्तु विवेकके द्वारा हम उसका अध्ययन अवश्य कर सकते हैं। आजका मनोविज्ञान किसी न किसी रूपमें इसका साक्षी है । ___कार्मण वर्गणाओंको हम टेप-रेकार्डके साथ उपमित कर सकते हैं। हम जो कुछ भी अच्छा या बुरा वोलते हैं वह सब ज्योंका त्यों टेप पर अंकित हो जाता है। परन्तु टेपको आँखोंसे देखनेपर यह दिखाई नहीं देता कि उस पर वह सब कहाँ तथा किस रूपमें अंकित हुआ है। टेप प्लास्टिककी बनी हुई एक पट्टी मात्र है, उसपर एक मसाला चढ़ा होता है। यह अंकन वास्तवमें उस मसाले पर होता है टेप पर नहीं। टेप ही हमें आँखसे दिखाई देती है परन्तु उस पर चढ़ा हुआ मसाला नहीं। इस प्रकार औदारिक शरीर तो हमें दिखाई देता है परन्तु इसके भीतर लिप्त कार्मणं वर्गणाओंका वह मसाला हमें दिखाई नहीं देता, जिसे कि यहाँ कार्मण शरीर कहा जा रहा है। मनसे, वचनसे अथवा कायसे हम. जो कुछ भी अच्छा या बुरा विचारते हैं, Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003676
Book TitleKarm Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendra Varni Granthmala
Publication Year1993
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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