SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 104
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६-करणानुयोग वालोंके लिये रचा गया होनेसे प्रस्तुत ग्रन्थका कथन उसकी अपेक्षा कुछ सूक्ष्म है। मूल ग्रन्थोंका विवेचन इसकी अपेक्षा भी अधिक सूक्ष्म है। जटिलता निवारण करनेके लिये इसकी पद्धति सर्वत्र आध्यात्मिक है जिसमें गणितका प्रयोग नहीं किया गया है। अथवा यह कह लीजिये कि कर्मके अध्यात्म-प्रधान इस विवेचनका अध्ययन कर लेने के पश्चात् यदि आप इस विषयके मूल-शास्त्रोंका अध्ययन करेंगे तो उससे आपको सकल रहस्य हस्तामलकवत् प्रत्यक्ष हो जायेगा। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यह विषय आपको उतना ही रोचक लगेगा जितना कि 'शान्ति-पथ प्रदर्शन'का। किसी अनुभवी गुरुकी शरण प्राप्त हो जाये तो इससे अच्छी बात नहीं, परन्तु यदि ऐसा सौभाग्य प्राप्त न हो तो अपनी स्थानीय गोष्ठी अथवा सत्संगतिमें ही इसका अध्ययन करें। पारस्परिक सहयोगसे इस रहस्यका उद्घाटन आपके प्रति हो जायेगा। इसका अध्ययन करनेके साथ-साथ आप संवेग तथा वैराग्यकी वृद्धिके अर्थ बाह्य तथा आभ्यन्तर जगतके स्वभावका चिन्तन भी अवश्य करते रहें जिससे कि इसका ज्ञान केवल बुद्धि तक सीमित न रहकर हृदयमें अथवा हार्दिक भावनाओंमें प्रवेश करता चला जाये। जीवनोत्यानका साक्षात् सम्बन्ध हृदयसे है बुद्धिसे नहीं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003676
Book TitleKarm Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendra Varni Granthmala
Publication Year1993
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy