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चतुर्थस्तुतिनिर्णयः न्यायांनोनिधि-श्रीमद्-आत्मारामजी
आनंदविजयजी महाराज विरचितः। A (अनुष्टुप् उत्तम्) पक्षपातं परित्यज्य, तटस्थीनूय सत्वरंगबुदि। मनिर्विलोक्योयं, चतुर्थस्तुतिनिर्णयः॥१॥
यह ग्रंथ राधणपुरके संघतरफसे शेठ मोहन टोकरसीकी पहेडीवालेके आझासें
मंबई में
निर्णयसागर मुंद्रायत्रम शा० नीमसी माणेकने उपवाकर
प्रकाशित किया. सं. १९४४
इस्वी१८८८
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