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________________ (२२) 21. 22 पवनदेव का देवों को निमन्त्रण । अग्निदेव 11.94-95 का प्रगट होना और भय से वृक्षों-शिलाओं 12.1-9 में छिप जाना यमराज और अग्निदेव के देवत्व पर प्रश्न 12.10-15 चिन्ह । मार्जार के दोष की स्वीकृति क्यों नहीं ? आप्त का स्वरूप-वीतरागता व 12.16-26 निष्कामता 23. पंचम संधि 1. देवों में ऋद्धियों का होना 12.27-29 2-6. शिश्नच्छेदन कथा 12.30-33 7. स्वर शिरश्छेदन कथा 12.34-52 8-9. जल पर तैरती शिला तथा वानरनत्य 12.53-76 कथा 10-11. कमण्डलु में हाथी का प्रवेश और उसमें से 12.77-92 उसका निर्गमन विप्रगण द्वारा आश्चर्य-व्यक्त 12.93-97 किया जाना 13.1-6 13. युधिष्ठिर द्वारा रसातल से दस करोड़ 13.7-17 सेना और शेषनाग सहित सप्तषियों को ले आना 14-15 अगस्त्य और ब्रह्मा की सृष्टि कथा 13.18-36 16-17 ब्रह्मा, विष्णु आदि की कथाओं पर 13.37-53 प्रश्नचिन्ह 18-20 जिनेन्द्र गुणों की विशेषता 13.54-102 यहां और भी पौराणिक कथाओं का उल्लेख है। षष्ठ सन्धि 1-18 इस संधि में लोकस्वरूप का विस्तृत वर्णन है। अमितगति ने इसे बिलकुल छोड़ दिया है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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