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________________ (२१) 16. तृतीय मूर्ख कथा-दस पुत्रों की शर्त में अपनी 9.44-49 संपत्ति चोरों को लुटा देना 17-19. चतुर्थ मूर्ख कथा-गल्लस्फोट कथा 9.50-95 20. मनोवेग का प्रश्न-विष्णु के संदर्भ में 10.1-20 21. विष्णु पर प्रश्न चिन्ह 10.21-40 22. ब्राह्मणों को निरुत्तर कर मनोवेग 10.41-51 वादशाला से बाहर आया चतुर्थ संधि 1-2. विष्णु कथा-अकंपनाचार्य कथा 10.52-65 3. मार्जार बेचने के लिए मनोवेग वादशाला 10.66-74 पहुंचा 5-6. मार्जार के दोष और गुण । कूपमण्डूक, कृतक 10.75--100 बधिर और क्लिष्टभृत्य जैसे के सामने तत्त्व की बात न कहना मण्डप कौशिक कथा 11.1-8 मण्डप कौशिक की पुत्री छाया और महादेव 11.9-25 यहां गंगा का का संबन्ध । महादेव का गंगा से भी प्रसंग मात्र एक श्लाक में संबन्ध है। पर हरिषेण ने इसका विस्तार किया है। 10-12. हरि (विष्णु) की कामुकता और कृष्ण 11.26-28 का सुन्दर रूप 13-16. ब्रह्मा और तिलोतमा का प्रेम सम्बन्ध 11.29-47 17. ब्रह्मा ने महादेव को शाप दिया 11.48-48 18. ब्रह्मा की रीछनी से जांबव नामक पुत्र। 11.59-65 इन्द्र ने भी गौतम ऋषि की पत्नी का उपभोग किया। यमराज के पास छाया पुत्री के रखने का संकल्प 19. यमराज ने छाया को पत्नी बनाया। अग्नि 11.66-82 ने भी छाया का उपभोग करना चाहा । प्रच्छन्न रूप से छाया के साथ अग्निदेव 11.73-93 का रमण । छाया द्वारा उसका उदरस्थ किया जाना । यमराज ने दोनों को उदरस्थ कर लिया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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