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पुच्छंताह ताह संखेवें
भणियभवंतर गण हरएवें।
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पत्ता- एत्थंतरे रायं णिसियरहु भीम सुभीमहि वुत्तउ । घणवाहण अम्हह पुत्तु तुहु होतउ आसि णिरुत्तउ ॥१४॥
(15) रक्ख सविज्ज तेहिं तहो दिज्जइ णेहवसेण किं ण किर किज्जइ। दिण्णउ णवमुहकंठाहरवउ तं सिरिफल जं बिहलुद्ध रणउ । जोयणाइ तीसरवण्णी
सुरणयरि व लंकाउरि दिण्णी । अवर वि छज्जोयण वित्थारें सह पायाललंकमणि सारें। तहो आएसें गहिय पसाहणु लंकपइठ्ठ गंपि घणवाहणु। रक्खसधय खयरहु पढमं कुरु लीलए रज्जे परिट्ठिउ णं सुरु । घडियाहरआहणणरवालए
परियलियए लीलए वहुकालए। गय तिसठि सिंहासण जइयहु किति धवलु उण्णज्जइ तइयहु । सिरि भुजंतहो गुणअणुराइउ' तहो महएविहि लच्छिहि भायउ । खयरणाहु सिरिकंठु महाइउ रयणउ रहो होतउ तहि आइउ। घत्ता- अच्छइ वि कह वि वासरइ तहि णियणयरहो जा चल्लइ ।
अइणे हाउरु भयरहियउ किति धवलु ता वोल्लइ ।।१५।।
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(16) वानर वंशोत्पत्ति कथा जं माणुसु णिवडइ सपियारउ तं फल दुक्कियकम्महो केरउ । तो वरि एक्कत्थ वि अच्छिज्जइ मज्झ विहूइए सयलु वि पुज्जइ । (14) l.a कहमि, 2.b वंदहो, 3.a तहि, 4.b भणिय, 5.b पणवंतह, a णिगड
णिवंधण, 6.b पणवंतह, 7.a पहि for पइ, a झति, a तहि, 8.b अवलोइय b तावहिं, 9.5 अप्पाणउं, a वइट्ठ for णिविट्ठ, 10.b पुच्छंताहं ताहं, a दरएवें, ll.b रायह, a भीमसुभामहि, 12.a अम्हह, b तुहु, See the पद्मपुराण of रविषेणाचार्य, 5.96-148 for Bhavantaras of मेघवाहन
& सहस्रनयन & others. (15) la तेहि, 2.a णवमुहु, b कंठाहरणउं, b विहलुद्धरणउं, 3.b जोयणाई,
4.b लंकमण, 6.b खयरहं, a परिठ्ठउ, 7.b परवाए and in margin, b writes घडियाहरणाहरणखालइ पाठांतर, 9.b भुजंतह, b भाइउ, 10.b इह for तहि, ll.b अच्छेवि कहवासरई, a चल्लइ, 12.b अह for अइ, b भयरहिउ ।
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