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जं जं कि पि मह घरि चंगउ तं तं सयलु वि तुझ जो जोग्गउ । महु सिरिकंतु अणेयइ दीवइ भुंजहि णाणारयण पईवइ। ताहे मज्झे जं भावइ चित्तहो लइ किर किं णउ दिज्जइ मित्तहो। 5 अब्भत्थणहि भंगु जहिं किज्जइ तित्थु जलंजलि णेहहो दिज्जइ । मण्णिउ भयणीवइ अभत्थिउ वाणरदीउ तेण सो पत्थि उ । तेण वि दिण्णु तासु अवियारें गउ सिरिकंठु समउ परिवारें। दिठ्ठ तेण तहि किक्कजि महिहरु किक्कजि णाम कराविउ तहि पुरु । तहि वाणरहि समउ कीलतहो गउ वहु कालु सुक्खु भुजंतहो। 10 घत्ता- चिरु रज्जु करेविणु तउ करिवि गउ सग्गहो सिरिकंठपहु ।
तहो लग्गि वि गरवइ ठणि पुणु हुउ णिउ णामें अमरपह ।।१६।।
(17)
एत्तहे कित्ति धवल संताणइ विमलकित्ति लंकाहिउ जायउ तहो सुय अमर पहु हे परिणंतहो ते पिच्छंति भय गय णववहु मा रहो तं जें वाणर वि लिहिय सिरिकंठहो लग्गेविणु वाणर णउ दिज्जइ वाणरहो जि थामें तो तुट्टेण तेण पोमाविय इय घणवाहणु रक्खसचिधीं हुउ पसिद्ध पयडु वि किं सीसइ घणवाहणवंसहो हुउ रावणु सत्तइहे उप्पण्णमहाणर
गए सत्तमणरेंदि सुहथाणइ ।
दो हु वि विउलु णेहु संजायउ । ___ मउ थणि विलिहिय वाणर तहो ।
भुच्छिय जा ता कुइउ अमरपहु। मंतिहि ताम कुलट्ठिदि साहिय। 5 जायइ कुलदेवयाइ गरेसर । वाणरदीओं जि आयहो णामें । मउडि छत्तिधयचिधि लिहाविय । सिरिकंठ वि वाणरचिधि । करि कंकणु कि आरसि दीसइ । सुग्गीवाइय सिरिकंठहो पुणु । मिविणमिह वंसि जे वाणर ।
घत्ता- वाणर तिरिक्खजाइहि भणिया रक्खस पुणु सुर वितर ।
__ रणु मिलइ ण वाणर रक्खसहो किर ए वडढंतर ।।१७।।
(16) la णिव्वडइ, 2.a एकत्थ, 4.b सिरिकंठ अणेयइं दीवई भुजाहि, a देवइ,
a पईवई, b पईवई, 5.bणलं, 6.a जहि, b किज्जई, b दिज्जई, 8.b मणिउ, a अब्भत्थउ, b अब्भत्थिळ, b दिणु, b गउं सिरिकंठ समउं, 9.b तेण तहि किक्कु जि णामि कराविउ पुरवरु, 10.b वाणरिहि, b गउं वहुं, a समउं for सुक्खु, ll.a करेंविणु, b तउ, b सिरिकंठ पहु, 12.a णवमए for परवइ, b मवरइं।
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