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________________ पंडु भणिउ एह सा अच्छइ इय वेल्लंतें अप्पिय खयरहो तेज विकाउ णिएवि कुमारहो पुच्छिउ कि सरीरु किस दीसइ ताम पंडु पभणइ सुपाणउ तहो वरपुत्ति कुंति उप्पण्णी एवहि मइ रोइउ जाणेविग तामहु तहि रूउचितं तहो एहावत्थ जाय फुडु अक्खिउ तं णिसुणेवि चित्तंग वोल्लइ रूउ करेवि मणोहरु गच्छहि तो मुद्दि लेविण पंडु थु तत्थ वि जगच्छण हुए तहो दंसणेण तहो कंपु जाउ जाणेवि छइल्लें रत्तचित्त घत्ता - अणुरत्त मुणे विणु णिय दुहिय अंधयवुट्ठि गरेसरु । तुह देइ अवसु जारत्तवसु ताहे सो वि धम्मीसरु ||२|| (3) डुक हवे जाम पाय जागेविण जणणियाए संजाउ पुत्तुलक्खहि जुत्तु चंपापुरवर परमेसरेण आणविउ घरि मंजुसु जाम वालु विकिरणियकर धरिय कण्णु उता अउत्तहो सो वि पुत्तु १०१ (2) सुह अज्जिउ कि कत्थ वि गच्छ I लय मुद्दिय चल्लिउ णिय णयरहो । किं कारण मित्त तुहु झीणउ । भणु मित्तहो कर काइ ण सीसइ । अंधविट्ठ अतिथ इह राणउ । पुव्वयालिसा महु पडिवण्णी । दे ण थिउ अवहेरि करेविणु । विरहाणलजालोलि पलित्तहो । तुह पुच्छंत हो गुज्झण रक्खिउ । मुद्दिय एह कामरूविणि लड़ । सुहु पच्छण्णइ ताए सहु अच्छाह । Jain Education International 1 उ पुरवरु ससुरहो तणउ जेत्थु दरिसि कुंति अप्पाणु तेण । कंटइय सरीरहे सुरथराउ । सा रमिय तेण वासरइ सत्त । दिवस कुंतिहि गब्भु ताम । णिहुण लुयाविय पुत्तियाए । मंजुसि छुट उहि खित्तु | दिट्ठउ आइच्चणरेस रेण । उघडिय वालउ दिट्टु ताम । किउ राएँ तें तहो णामु कण्णु । पंडु कष्णु पत्तु पुत्तु । 5 For Private & Personal Use Only 10 5 ( 2 ) 1. b भणिउं, b गच्छई, 2.2 वोलंते, b omits लय मुद्दिय etc..... यरहो, b omits कि कारणेण etc.... झीणउ, 4.b काई, 5 a ताव, b पभणई सुपहाणउं, a अंधकविट्ठि, bणाम for अत्थि, b राणउं, 7.b एवहि मई, 11. a लहुं for सुहु, a पच्छणु, a हु for सहु, b सहुं, 13 a अवस जारत्त जसु, b ताहं, b वम्मीसरु । 10 www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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