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________________ ८८ मुह माय किर कण्ण रंयणीहि परिणयणु जणजणिय रायस्स ता करइ चूरंतु पत्तो विवाहम्मि गुरु दिठु उम्मिट्ठ तं णिएवि गुरुविग्घु. तहो वाम अंसग्गु सा पडिय खलिऊण पुणेहिं उव्वरिय जणु भणइ णिक्किठ्ठ इय गरुयलज्जाए उद्धरिय वंसेण पइवयचरित्ताए मह पिउ हे जा दिण्ण । का खइ सयणयणु। करि छुटु रायस्स। माणु सइ मारंतु। कय विविह सोहम्मि। भयत? जणु ण? । ओसरि उ वरू सिग्घु । बहुयाहे तहि लग्गु । जो इय ण वलिऊण। करिणा ण सा धरिय। वहु मुएवि वरु णछु । गउ रहिउ भज्जाए। पुरिसस्स फंसेण । हुउ गम्भे हउँ ताहे। घत्ता- सा मायए वुत्तु किं कुले लंछणु आणिउ। ता भासिउ ताए मइँ काइँ ण वियाणि उ ।।२॥ (3) मह अत्थि को वि ण वि अवरु मग्गु परिणिय पियसिढिलभुयंग लन्ग । इय भणिय माय मउणेण थिया गय मासहि पसवणदिवस हुया । एत्थंतरे तावससंघु तित्थ आइउ महु मायहे गेहु जेत्थु । मायामहेण महु ते णमिया कहि चलिय भणेविण विण्णविया। तो भणिउ तेहिं दुक्कालु ताम । होही वारहवरिसाइँ जाम । तें चल्लिय अम्हइ जिह सुहिक्खु तवसी ण वि दुस्सहु भुक्ख दुक्खु । तुम्हइँ वि एहु मा मरहो एत्यु णिय देसु सोज्जि जीवियइ जेत्थु । अह करहु कि पि पडियारतेम . दुक्कालदुक्खु णित्थरहु जेम। इय भासिऊण भोयणु करेवि गय तावस देसंतरु सरेवि । गब्भत्थें मइ चिंतियउ ताम गच्छइ रउर्दु दुक्कालु जाम। 10 (2) la कारणु ज्जंपि, 2.b त for ता, a खइखइ०, 3.6 मक्कडह, 4.b पिसुणियउं दियवरहि, b णिसुणियउं, 5.b भणिउ मउ मेल्लि, b बोल्लि, 6.b भुणइँ for माणुसइ, 12.a दिट्ठ, 16.a पुष्णेहि, 17.b भणई, 19.b फसेण for वंसेण a पुरिसस्स फसेण, 20.b हउँ गभे हुउ तहि, a हउ, 21.b कुललंछणु आणियउं, 22.a मइ काई, b काइं वि ण वियाणियउ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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