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________________ ८४. 5 (16) आऊण वि वरिससहाससत्त तेऊण विठि दिहिण तिष्णि वृत्त । वाऊण तिवरिससहास आउ पुढवि पहुदि जीवह सुहुमु काउ । भासिउ अंगुलहो अंसख भाउ सबह जहण्णु भिण्ण महुत्त आउ । जोयणसहासु वणफ इहि देहु आउसु दहवरिससहस मुणेहु । तणु आउमाणु वेइंदियाण जोयणवारहवरिसइ मि ताण। तणु माणे तेइंदिय तिकोस एक्कोण जियहिं पंचास दिवस । चउरिदिय तणु जोयणपमाणु आउसु वि ताण छम्मास माणु । मच्छाण देहु जोयणसहासु पुवाण कोडि आउसु पयासु । सव्वह असुह तिलेसासमाण असुहाहारहु मइ सुइ अणाण । घत्ता- मज्झिम अंसु फुडु तेऊलेसहि अमरहो। विहि सग्गहि होइ मंदकसाया समरहो ॥१६॥ 10 सणकुमारमाहिदहि सग्गहि मज्झिम अंसु हवइ छाहि पोमहि मज्झु सुक्कु तेरसि सुपरिट्ठिय जहि जित्तिउ आउवहि संखहिं तेत्तिय वरिससहासहि भोयणु सुरणारयहो ओहि सद्दिट्ठिहु भावणाहि दो कप्पंति य सुर विहिसफंसपवियारहो भायणु कप्पे चउक्कि पुणु वि सुइ भदि पुणु चउकप्पहि मणपरियारा तेयसपोमलेस सुरपग्गहि । विहि जच णुत्तमु सुक्कहि पोमहि । चउदहसुक्कुत्तम सिय संठिय । उस्सासु वि तहि तेत्तिय पक्खहि । णिच्चु सुक्खु अणिमिसु आलोयणु। 5 सो वि विहंगु हवेइ कुदिट्ठिहु । तणु पवियार सुहि सुकयायर । पउकप्पेहि रूव आलोयणु। पवियारो हवेइ सुह सहि । परओ सुरमणि अप्पवियारा। 10 धत्ता- पवियारसुहाउ अप्पवियारह अहिउ सुह । सम्मत्तचुआहं सुरहुं अहिमाण सिउ दुहु ।।१७।। ।। (16) 1.a दिहिण is explained as दिन in margin, b दिण, 2.b पुढवी पहुजीवहो सुहुम काउं, 3.a writes in margin the line भासिउ etc. . . . आउ and b omits the same, 4.b देहुं, a दहवरिसु सहसु, b गणेहुँ for मुणेहु, 5.a inter. आउ and माणु, b जियहि, 7.b छम्मासजाणु, 9.b सत्रहो असुहलेसासुमाण असहाहारह मई सुई, 1.b सग्गहं होइं मंदकसायउ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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