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________________ सोहम्मीसह सत्तजि कर सकुमारमाहिंदै छ हत्था पंच करुण्णयदेवणिकायहु विहि अमरहो पंचकरपमाणउँ सुक्के महासुक्के विसयारे विहि जीवहि सोलह सायरसमु आण पाणए सड्ढतिहत्थ हु आरणअच्चुयवासिय अमरहु हेट्ठिममज्झिमउवरिमभयेहिं सड्ढदु दो दिवड्डु कर उण्णइँ Maratसवुह एक्काहिउ अदिस अमर सुहमुहडिउ ८२ पयईए परोवरु दुहराह उच्छिययरणिच्चाहारयाह विहि पुढविहि भासिय काउलेस मज्झिमणीला पंकप्पहहि मढविहि लेस हवेइ किन्ह असुराइय जोइसियंतियाहु र तिरियभोयभूमीसु ताम (13) घत्ता - तेत्तीससमुद्द उवमाणाउ अणुत्तरहिं । दो जल हिपमाण आउस सुर । सत्तसमुद्वमाउपसत्था । विहि दहजल हि समाउसु आयहु । आउसु चउदह सायरमाणउ । हत्थामर तह सहसारे । विहिं अट्ठारह सरिणाहोवमु । ठिदि वीसं हि समसुरसत्य हु । वावसुवहसमाउसु तिकरहु । अतिहि तहि तिहि गड़वेयहिं । असा एक्कु जि करु भण्णइ | 10 नवगइवेयसुराउ सुसाहिउ । बत्ती सुवहिसमाउ सुपयडिउ । पंचहि विसुमित्त परमइ भुंजिज्जइ सुरिहिं ॥ १३ ॥ (14) Jain Education International अणवरमरूद्धसासाउराइँ । रयण पहाड़ दुयणारवाह । तया काडणीला अंस | णीला सहि धुमप्पहाहि । तमतमपुढविहि सा परम किण्ह । हे सहि जयसु ताहु | उत्तंगध सयसट्ठि जाम । 5 (13) 1.a सोह में साहि, b जलणिहिंसमाण, 2. a. b सणकुमार, a महिंदि छह हत्था, b समुद्दवमाउ पसत्थ, 3.b करुण्णई, b विहिं, a ०जलहि, 4. b विहि अमरहं, a पंचकरु समाणउ, a चउद्दह, 5 b सुक्कमहा०, a बिसयारें, a सहसारें 6.2 विहि जीवहि, a विहि, 7.a हत्थहुं, 8.ab तिकरहुं, 9 a ०भेयहि, b अमरहुं तिहिं तिहिं तिहि, a गय for इ. 10.b दियड्ढ़, a कररु for करु, 11.b तेवींसंवुहि, a एक्कक्काहिउ णवगत्रिय, 12.b अमरहं, 13 अगुत्तरहि, 14 b मि for वि, b पर में, a सुरहि । For Private & Personal Use Only 5 www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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