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________________ अवरराइँ मिले सगुणाइँयाइँ पढममहिए सत्त सरासणाइँ यह सरीरु छेटु दिट्ठ सक्कर हाइ पुढवी गणिउ आउसु तिसत्तदहसत्तदहा सायरउवमाणइ भासियउ असुर सरीरु पणवीसवणू तह णायसवण्णदीवकुमरा पहचावदिहसेस वि कुमार उस उरवणदीवए हिं सदहि ते वारह वासरेहिं यहि भणिय विज्जुकुमारयाहँ वियलिय वारह दिवसेहि इट्ठ तह चेव दिसग्गणि मरुकुमार आहार लेहि चिति मणेहि तिरहुमि दह धणु तणु गुरुत्तु उसासु वित्त मुहुत्तएण जो सत को डाउ ८१ वत्ता - अउसु विविपल्ल सड्ढदुपल्ल दुपल्ल तहु । कुमराण वराहु भुंजिय विविह भोय सयहु ॥ ११ ॥ (12) पडमि फुडु जे मणि रूपियाइँ छंगुल तित्थ अहियाइँ ताइँ । आउ सायरवमाणु सिठु । तण उच्छे मुणिउ । बावीस तियाहिय तीस तहा । अपवत्तणरहिउ दुहासियउ । आउ समुह उवमाणु गणू I दह चाव तुंग पभणिय अमरा । पल्लोव जियहि दिवट्ठसार । कि उ सड्ढउ दुहहिं मुहुत्तएहि । चितवियाहरेहिंदिहिकरेहिं । वारहहि मुहतहि सासुता हूँ । एए चितहि आहारु मिठु । सत्तट्ठ मुहुत्तहिं सासयार । परियलियहि सत्तट्ठहिं दिहिं । आउसु पल्लोव एक्कु वुत्तु । आहारचितदिण सत्तएण । पल्लोवउ अहिउ हवेइ आउ । घत्ता - उस्सासाहार जिह वित रहँ पयासिय रु वे मुणेहि तिह जोइसियहँ भासिय || १२|| Jain Education International 5 10 For Private & Personal Use Only 5 (11) 1.b भणिउं, a मइ, 3a अत्रराइ, a सगुणेइयाई, 4 पढ़मं, b महिहे, a अहियाइ ताइ, 6.a गुणिउं, b गणिउं, b तद्दृणु दृणु, b भणिउं, 7.b आउसुं, 8.b उवमाणई, 9.b असुरहं, a गणु, lla सढ दुमल्लदुप्पल्लु, 12.b सराहु | 10 (12) 1.b जियह, 2.5 सासु उरयासुदलदीव एहि किउ सट्टु दुहहिं, ३० दीवएहि, a मुहुत्तएहि, 3 a वासरेहिं, b चितवियाहारहि 4.b उवहिं, a विज्जकुमारयाह वारहहि मुहुस्तहि, 5.b चितहि, 6.a मुहत्तहि, 7. सत्तट्ठ हि दहि, 8.b वितर हंमि, 9.6 ऊसासु, 11.2 वितरह 12.b मुणेहिं । www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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