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अच्छरकरचलियसियचमरा
इय एवमाइ वर गुणणियरा ।
' घत्ता- चितिय आहार विविहभोयसंतित्तमणा।
वज्जियणीहार हियइच्छिय अखलियगमणा ॥३॥
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रयणप्पहणारइय मुए विणु
जोयणसहसु उवरि लंघेविणु। भवणणिवासियदेव परिट्ठिया ते दहविह संखाए अहिट्टिया । असुरोरयसुवण्णदीवोवहि
थणियतडि दिसग्गिवायकुमरसुहि । सहजहु कणयरयणमयसिहरहु चउसट्ठी लक्खइ असुरहरहु । ताणोवरि णायकुमरणिलयहु चउरासी लक्खाइ अविलयहु। हेमकुमारहु भोयाहिट्ठिउ
भवणहु लक्ख वहत्तरि संठिउ । तह दीवोवहि थणियकुमारहु तडि दिसग्गिकुमरहु सुकुमारहु । एक्केकाण विवज्जिय दुक्ख इ वरगेहाइ छहत्तरि लक्खइ। पुगु छण्णवइलक्ख णिरु रम्नई होहि अणिलकुमार सुरहहम्म.। मज्झिममहि अप्पट्ठिय भेयहि
जोयणलक्खु अलंकि.उ एयहिं । घत्ता- इय कोडिउ सत्त वाहत्तरि लक्ख हि सहिउ ।
भावणभवणाहु एहि पिडेविणु कहिउ ॥४॥
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(5) व्यंतर-ज्योतिष देव वर्णन
उवरि अट्ठविह संठिय वितर तत्थ पढम पभणिज्जहि किणर । कि पुरूसोरुउरय गधन्वय
जक्ख रक्ख तह भूयपिसायय । (3) 3.b जम्मधाओ रहिया, 4.b तविहडिय, 6.b पुण्णाणुरूव, 8.b सहजायमउं___डमणिकुंडधरा, 10.a मणिकणयकरा, 13.a चित्तियइ, a विविहभेयेसंसि
त्तमणा, 14.a गमणु, b (गमण। (4) 1.a ० सहसउवरि, 2.b परिट्ठिय, b अहिट्ठिय, 3.a असुरोरग सवण्ण०,
a थिणिय०, a ० कुमारसुहि, 4.b लखइ असुरहरहो, 5 b फणिकुमरहो णिलया, b लक्खई, 6.a सुवण for हेम. a भोयहिटिय, a भुवणह, a संठिय, 7.a तहि दीवोयहि, a कुमारहो, a दिसग्गि सकु मह कुमारहु, 8.b दुक्खई, b लक्ख इं, 9.a • रम्मह, a °हम्मंह, 10.a भेयहि, a एयहि, 11.b सत्ता for सत्त, b लक्खहं, 12.b ०भवणाहं ।
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