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एयह पुरणयरेहि विमाणे हिं तिरियलोउ अकएहि विहूसिउ मज्झिमलोय गुणेहि अहिट्ठिय मणुयखेतु अड्ढाइय दीवहिं पूरिउ मगुसुत्तर परहुत्तउ जोयणसयइ अट्ठदहऊण तहिं जोइससुर पंचपयारय विप्फुरंत णाणामणिरयणइँ
रयणमएहिं असंखपमाणहिं । इय सोणियहो जिणिदि भासिउ । दीवसमदृअसंख परिट्ठिय। पुणु तिरिक्ख पंचेदिय जीवहि । जामसयंभुरमणु जिणवुत्तउ । उवरि कमेविणु जोइसभवणई । रविससिगहणक्खत्तसतारय । एयह संख विहीण विमाणइँ।
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घत्ता- उवरोवरी ताण वहमाणियसुर कहमि सुणु ।
ते कप्पुववण्ण कप्पतीद वि होति पुणु ॥५॥
(6)
वैमानिक देव वर्णन
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सोहम्मो ईसाणो अवरो
तइओ भण्णइ सणयकुमारो । माहिंदो वंभा वंभोत्तर
लंतउ तह काविट्ठ अणंतरु । सुक्का महसुक्को य सयारो
सहयारो आणयपाणयरो। आरण अच्चउ एए कप्पा
उड्ढं णवगइवेय वि अप्पा । उप्परि णव अणुदिस पभणिज्जहिं पुवदिसाइ कमेण गणिज्जहिं । लच्छि सोमुलच्छी मालिवरो सोमरुवेरो अंको अवरो। वरो अणुफलिहो य अणुवमो मझें थिउ आइच्चो णवमो । उप्परि पंचाणुत्तर भासिय हरिजमवरुणकुवेरदिसासिय । विजउ वइजयंतो वि जयंती तहिं चउत्थु अवराइ उ वुत्तो। तह सव्वत्थसिद्धि सयलुत्तम
इहु मज्झम्मि परिट्ठिय पंचम् । पुगु सव्वत्थ सिद्धि लंघेविणु वारहजोयण उवरि कमेविणु । थिय विवरीयछत्त आयारें
मोक्खासिला जि लोयवित्थारें। __ घत्ता- सा ससि भासेहि मज्झि अठजोयण कहिय ।
पासहिं हीयंति मक्खिय पंख व तणुय थिय ।।६।।
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(5) 1.b भणिज्जहिं, 2.5 रुउरय is explained as गरुड in margin
3.b एयह, a पुरणयरेहि विमाणहिं रयणमएहि असंखइ माणहि, 4.a अकरएहि, a सेणियहो, 5.a गुणेहि, 6.a दीवहि, 7.a जाव सयंभुरवणु, 8.a ऊणइ, a भुवणइ, 9.a तहि, 10.a • रयणइ तहि परि संख०, a बिमाणइ, 12.a कप्पपवण्ण, a होहि ।
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