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________________ ६. छट्ठ संधि लोकस्थिति : नरक वर्णन गुणले भणेवि देवधम्मआयमजइहु । णिग्गज मणावेउ विम्हहु लाइवि दियवइहु ॥ छ ॥ पुणु उववणे थाएविणु मित्तहो लोउ अणाइणिहउ जिणु भासइ थिउ तिवायवेढिउ अविणासहो णिच्च चउदहरज्जु पमाणउ झल्लरिरूउ मज्झि जाणिज्जइ सलु वि तल उभयसारिच्छउ हि अह लोए अहो हो संठिउ यह अवर विसक्करपह धूम पह तमपह तमतमपह हि विलाण चउरासीलक्खइ (1) वालुपहाहि ते पंचदहा णारइयनियर दुक्खावलक्ख पंचाणुलक्खु तह तमपहा हि पत्ता- रयणप्पहमहिहिं तीसलक्ख णाणिहि मुणिय | सक्करपधरहि लक्ख पंचवीस जि भणिय || १॥ (2) Jain Education International लोयदिट्ठदि पभणइ गुणवंतहो । करइ ण धरइ ण कोइ वि पासइ । मज्झ अनंताणं तयासहो । तलि वेत्तासण अणुहरमाणउ । उवरि मुयं गुणाइँ भाविज्जइ । छुडु जीवाइदव्व परिहच्छउ । भूमिउ सत्त सुदुक्खाहिट्ठिउ । वालुयह तह पुणु पंकप्पह | नामसमानताहँ सयलह पह | संभवति संपाइय दुक्ख इ । पंपहाहि संभवहि दहा । धूमहाहि पुणु तिष्णिलक्ख । पंचैव विलs तमतमपहाहि । 5 ( 1 ) 1a जड़यहु, 2b विभउ, 3.b पभणइ गुणवंतहु, 6a पमाणो, a अणुहरमाणो, 7.b ओल्लरित्तउ, a गुणाइ, 8.b वि तणुतुंवय सारिच्छउ, a सारिच्छा, a परिहच्छो, 9 a तहे, b भूमिउं, 10.a वालुप्पह b पंकप्पहं, 11.b सयल वि पहं, 12 a तहि, b oलक्खड़, b दुक्खई, 13. a णाणिहि, 14 b सक्कारपह, a भणिया । For Private & Personal Use Only 10 www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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