________________
सरिस व सरिसु कमंडलु डालए रिसिणा अभूत्थाणु करेविणु तुम्हइँ कज्जे केण समागय अह केण विणासिय ण मुणिज्जइ
६९
अवलंविदिट्टु अविसालए । पुच्छिउ वंभु सिरेण णवेविणु । तेण भणिउ महु पय कत्थ वि गय । एत्यंतर मुणिणा पभणिज्जइ ।
घत्ता - जं णिम्मियउ तुम्हाँ आयरेण तं किर कहि इय जोयहो । पइसेवि कमंडले महु तणए तिहुयणु देम पलोयहो ।। १४ ।।
(15)
जा अस्थिवणेण पइसइ वंभु कमंडले
कवणु हुचितंतु एम किरणियडए गच्छइ
ता पिएइ तहिं सुत्तु पुरिसु वडरुक्खे विउलदले ।
किं हरितं सुत्तो सि एत्थ ता हरिणा जंपिउ
तो णिएवि विहुत्ति वंभु पुणु पच्छा पुच्छइ ।
तं मा पलए विणासु जाउ इय उयरि करेविणु
तिहुयणु जं पइ रयउ देव तुज्झ वि णिरु जंपिउ ।
सुत्त गुरुभारेण संतु एयंतु भणेविणु । साहु उ इच्छमि विण्हु दट्टु इय वोल्लिउ । 5
तापइसेवि चराचरं पिलो यं पिच्छेविणु ।
तो तं वय सुणेवि वंभु मणि गिरु गंजोल्लिउ
तो हरि भणइ जिएहि सिट्ठि मुंडेण वि सेविणु
Jain Education International
किर णिग्गइ सो ताइ ताम अपवित्तउ भावइ
10
णवर कमलकण्णियए बसणकेसहि आलुद्धउ,
णाहिक मल सुसिरेण हरिणीसरियउ पयावर |
चंदहिया णाम छेदु वि वुह्यण पसिद्धउ ।
घत्ता - तो कमलु जि आसणु होउ इय चितेवि णिविट्ठउ ।
तो दिवसहो लाग्गवि चउवयणु कमलासणु जणि घुट्ठउ || १५ || 10
(14) 1b किण्ण, a पुराणहि, b सीसई, 2.b 0 अयत्थिणा, 3. b उयरि, a कह for fre, a कमंडलु मइ, b सिहं, 4.b उवरि, Sa कहि, a जोइस, a. in margin ब्रह्मा, 6.a in margin अगस्ति, a धुमाउले, b वइट्ठउ, 7.a अविलंवियउ 8.b सिरेणा, a णवेणु, 9 a तुम्हइ, b कज्जें, b समागया. b भणिउं, 10 a मण for ण, 1la जे for जं, b णिम्मिउं, a तुम्हहि आयरेणा lla इह for इय, 12. a कमंडल, b तणई ।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org