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(16)
भणइ पुणु वि मुणि दियहु असच्चउ परिहरहु
एरिसु अत्थि पुराणि ण वा फुडु वज्जरह दियवर भणहिं पुराणि पसिद्धउ रूढि गए
__ वेयवयणु किं को वि असच्चउ भणइ जए । तो खगमुणि पभणेइ सरिसवसम कुंडियहे
तिहुयणु माइ कि ण करि मइँ सहु कुंडियहे। लोयभरेण ण भज्जइ एसिहि तंव जिह
महु सकरिहे भरुवि सहइ भिंडहो डालु तिह । किह सवंगु विणिग्गउ जलरुहकण्णियहे
लग्गइ वंभु काइ ण करी भिंगारियहे। 5 इय पुराणु जइ अलियउ तो मझु वि वयणु
तं णिसुणेवि णिरुत्तर जायउ विप्पगणु । कवडरिसी तो सुहिवयणु णिएविणु हसिउ
हरि तिहुयणु गिलिऊण कमंडले जइ वसिउ । तो कहिं एसि अयत्थि कमंडलु थिउ चडेवि
_ कहिं वडविडवि परिट्ठिउ जहिं ठिहु हरि चडिव । पुठवावरहि विरुद्धउ णाणिहि उवहसिउ
___एहउ जो पडिवज्जइ फुडु सो साहसिउ । इय परवइयपुराणे ण सच्चउ मइँ मुणिउ
रासहछंदु वियाणहु एरिसु मइँ भणिउ । 10 पत्ता- तहिं जो वि हु सुमरियमेत्तु णिरु मिल्लावहि भवपासहो ।
सइँ गुप्पइ विण्हुणाहिकमले कह एउ होइ ण हासहो ॥१६॥
(17)
कमलासणासु जई णाण अस्थि जइ करह णारि तिहुयणविसिठ्ठ
कि सिवित्त पुच्छिउ अयत्थि । सइ रित्थि काइ सेवइ णिकिठ्ठ ।
(15) la जाम, b पईसइ, a वडरुक्ख, 2.a ता मुणेवि, 3.a एत्थ, a रइउ,
4.a एयंत्तु, 5.b inter. मणे for मणि and णिरु, a इयं, 6.b भणई, aम्मि for णि, 7.b णिग्गई सोत्ताई, a अपवित्तइ, a णहिकमल०, bणीसरिउं, 8.a चंदले हिअ, 9.a चित्तेवि. See for the story मत्स्यपुराण, महाभारत (वनपर्व) etc.
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