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________________ धत्ता दिवराहणिरुत्तु सव्व पुराणि पवृत्तउ । पुणु वाइय गिरिद सोयामणि णिसोहग्गदमियरइरमाणिहि पयजिय, पोमराय रूइ.संघह सुरकरिकरसमऊरु विसेसहि गहिरणाहिरा रोमावलियहि सिहिणभार भारियललियंगहि रतुप्पलदल कोमलपाणिहि गयणपुरं तदित्ति णहपंतिहिं जियपरिणय विवीहलअहर हिं फुल्लकमलदली हरणयणिहिं कोइलकलख महरालार्वाहि हावभावविभम पयतिहि ५८ उ दिएहि गुणड्डु तह विरालु पइ जित्तउ ||२२|| (23) रुदेह गारिहरु जेण कउ भुवि अभवउरित्थियए घत्ता - इयतिहुयणरमणिहि जासु ण मणु खोहिज्जइ । सुरणरणाय यस्स तहो देवहो पणमिज्जइ ॥ २३॥ (24) भइ रवगिंदु भव्वचूडामणि । वालमराललीलगइगमणिहिं | मासि ण वि सिर वि रोमवरजंघ हि । गंगापुणिणियं वपएसहि । तोच्छोयर सोहंतहि तिवलियहि । भुयलयकय अणंगगणसंगहि | गुलबहुसोहाखाणिहिं । तणुतेओ हामि यससिकं तिहिं । मुत्तालविलासदंतहरहि । सरयसमयछणससिसम वयणिहिं । सिहिकलावसमकेस कलावहिं । वरसण दृविसेस डंतिहि । Jain Education International गोविंद गोविगुणणेहमउ । सुरणा अणाहु अहल्लकए । 5 ( 22 ) 2.a यासण, a तहि, a जहि, 3.b inter. अस्थि and णत्थि, 4. b पभणिउं, a रविवु, 5.b यरराउ, a b भणई, b मुणई, 6a सग्गें, b हो for होइ, 7.a इत्थियहि, a उयरित्थिउ 8.b कह व, 9 a गुणु b णासहि, 10.b णउं, 12 b भणिउं, b तुह, b पई | 10 (23) 1.b भणई, 2.a रइरमणहि, a ० गमणिहे, 3. a 。संघहि, a जंघहि, 4. विसेसहि, a ०पएसहि, 5.boगम for ० राय०, b. सोहंततिवलियहि, a तिवलिहिं, 6. a •ललियंगहि a अगंगगलसंगहि 7. पाणिहि, ०खाणेहि, 8. a. b णहपंतिहि, a ससिकंतहि, 9 a पक्क in margin, a oअरहिं for अहरहि, 10. b जयर्णाहि, b वयणहि, lla महरालावहि, कलावहि, 12.6 ० पयडंतहि, b विसेसु, 13.b 0 रमणीहिं, a 14. b पणविज्जइ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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