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________________ वरेक्क दिवसि पवणेण अणलु जें लद्ध णारि चिर कय सुहेण तो तेण भणिउ संभोउ ताहे मरु भइ मित्त जो विसपलुद्ध अंगुलिए पसारिए वाह पडइ सो थवइ कंत उयरंतराले तें भणिउ तिलोयासियउ जाउ कि एक्क वियणे गुरुयणविहीण तहि थिउ पछष्णसरीरु जाम उगिलिय कंत वियणं णिएवि एत्तहो धूमद्धउ दिव्वरूउ दंसणमत्तेण वि एक्कमेक्कु रमियावसाणे दिससुय भणेइ परहण मज्झु णासिय लुणेइ वहंति पाय पिए कहमि तुज्झ तो निभए सो ताए गिलिउ गिलिऊण भज्ज गउ गेहि जाम जलणेण विणा थिय दियहु जाय ५६ धत्ता - इय भणेवि गउ तेत्थु जैत्थु णिच्च जमु गंगहे । छाया उग्गिलिऊण लग्गड़ झाणपरिग्गहे ||१९|| (20) पणिउ जम जीविउ मित्त सहलु । 5 ज जाइ कालु तहो रइसुहेण । सहि केम होइ भणिरुवमाहे । कज्जगइ वियप्पइ सो ण मुदु । कता के संसग्गु घडइ | वह एक्कु पहरु वयfणयमकाले । पहरेक्के माणमितियउ ताउ । छुट्ट महु मयणुम्मत पीण । धत्ता- ताम पवणु इंदेण भणिउ समित्तु गवेसहि । आउ पलोएवि तेण वुत्तु ण दिट्ठ मए सहि ||२०|| Jain Education International सहसा एंतूण जमेण ताम । आढविउ नियम जले पइसरेवि । करिऊण पत्तु छायासमीउ । इच्छिउ रइरस पिउ महुरवक्कु । जा जाहि कंत जा जमु ण एइ एत्यंतरे सिहि पडिवयणु देइ । तुह पुरउ होउ जं होइ मज्झु । एत जमु विणु ताह मिलिउ । जगि णट्ठ पवण किय सयल ताम । विणु जायहु सुरवर वियल जाय 10 " 10 ( 18 ) 1.a जेववो, b पुतु उप्पणु, 2b मुवइ, 3.b किर कण्ण, 4.b तायें, 6.b inter. सो and कह, 7.b वि कलत्तु, lla रयरत्तु, 13 b उक्समिय, 14.a इउ for इय, 16. b कसु for कहु, 18.b धम्माहम्मअसेसु । ( 19 ) 2b तेत्थ, 4. b वहिरे, b गलिय, 5 b पद्मणिउं, 6.b काइ for जाइ, b रहे for तहो, 7. b भणिउं, 8 b भगई, 9. b जहे for कहे, 10.b थरई, a उवरंतराले, a परणियणयाले lla याउ for जाउ, त्तियउ, 13 b तत्थ जेत्थ । 5 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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