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तो अवको घरसुत्यासु इय उंदिरेहिं वइरं सरेवि कवि पंतहि ताहिएहि जइच्छिणु अलिउ तो तुज्झु वयगु एक्के दो भासि खगेण दिय भहिं भणिउ तुह केम घडउ सवरेण वृत्तु तुम्हहिं पमाणु तें भणउ दोसु जइ परिहरेहि पुणु तेण भणिउ संकमि भएण अवरु वि जइ अडददुरसमाणु चिरविरइय कट्ठभिच्चसमयं
तो सवरु भइ समुद्दतडहो मेडुएँ पुच्छिउ आगमणु भरण वुत्तु केवट्टु उवहि करपसरु करेविणु दद्दुरेण तेत्तु गरुड पुणु मंडुण हंसे भासिउ को मुणइ माणु जो कूवि स ददगुरु सया वि एवं भणेवि उड्डाणु हंसु गुरु गण लहु वि जो पुण्वदिट्ठ कइव वहिरु वि असउ ण भएण दुणिमित्तु ण पिच्छइ जेम कि पि इय अहभी जो सुह चवेइ
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घत्ता - ता भासिउ भट्टेहिं ता णरतिउ साहिज्जइ । नियमजरदोसस्स पुणु परिहारउ दिज्जइ ॥ ५ ॥
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जिउ हरइ रंधि पहरंतयासु । कण्णद्ध खद्धु णिहु अंसरेवि । एयहो वि कण्णु मूसयदिएहि । इ भणिउ पलोइउ तासु वयणु 1 कि वहुय वि गुण णिज्जहि खएन । सुरविंदु विणास दुद्ध वडउ । रोडाण वादु ण हवइ समाणु । तो बंभणाण जसु परिहरेहि । परिहरि दोसु णं भणमि एण । तह कइवय वहिरिय णरसमाणु । पिच्छेविण पयडमि तो समयं ।
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तडि आयउ हंसु जाम अडहो । रणाराउ तें कहिउ पुणु । तें भणिउ मुणहि अइ वहु सुहि । एवहु होइ किं भणिउ तेण । कच्चइ कि सरिसर महु अडेण । तें वुत्तु अाउ वि किं महाणु । सो सायरगुण ण मुणइ कया वि । अरु विसो गरु अडभेयसरिसु । सहइ ण पयाडिउ गुणगरिठु । रति गच्छइ तुरहरवेण । सुनिमित्तु ण याणइतिह हियं पि । अवरु विसो कइव वहिरु होइ ।
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( 5 ) 1.b किर, 2 b जउ, 3. उंदिरेहि, a खुद्ध, 4 in margin the meaning of दिएहि is given as दंतें, 4. तो for ता, 5. a पलोयवि, 6.b खएण, b णिज्जहिं, 7.b णासई, 8 b समाणु, b वाउ, 9 a भणहि, b भणउं, b परिहरेहिं, b परिहरेहिं, 10 b भणिउं, a संक्कमि, b णह for पं, 11 omits बि, a कयत्थ ववहिरु वि णरसमाणु, 13.b तो भासिउं,
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