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________________ मणवेएँ तो पडिवणु घुठ्ठ् तो ते भणिउ हरि कीस ते तु गरुय कोऊहलेण घत्ता - जइ मुक्खस्स ण जुत्तु कणयमयासणरोहणु । तो एत्यही उत्तिष्णु करहु पसाउ नियमणु ॥ ३॥ (4) तो हि विप्प को गुणसिट्ठ भिल्लेण भणिउ गंधेण जंति तो ते हिं भणिउं भणु मोल्लु काइँ दिय मण्णहि कणयहो पडउ वहु एक्aहिंदि पुरि मूसह अत्थू सारियए ण एक्कुवि रूउ एइ तो देवि हेमु अवियारएहि तें भणिउ पलोएवि लेहु एहु तो छिणु कण्णु रुहिरावलित्तु रुहिरारुणु दीसइ काइ कण्णु मंजरु विक्कहो हउँ इह पठ्ठे । कणयासणि किं थिउ पाणिसीस | णवजोव्वणवल विज्जामएन । ए हो मंजरहो सरीर दिटठु । वारहजोयण उंदर ण होति । तें भणि सट्ठि कणयहो पलाइँ । मज्जारें पुणु वहु सरइ कज्जु । नासिज्जइ जो सो मिलइ केत्थु । जं करइ मह जणु तं हवेह | कुंभत्थु विलइउ विरालु तेहि । मा पच्छता हु डहउ देहु । पिच्छेवि तासु दियवरहि वुत्तु । भिल्लेण ताव पडिवमणु दिण्णु । घत्ता - अम्हइ पंथें रीण णिरु उंदरकुलआउलि । सुत्तच्छुहासंतत्त रयणिहि एउ विदेउलि || ४ || (5) Jain Education International 10 14 For Private & Personal Use Only 5 किल सयलकाल अम्हाण जाइ एयहो दुट्हो गंधेण जाइ । ( 3 ) 3 a एम वि for एवं, a तमालणिहि, 4. गुंजाइणयण छिच्चिरियणास, 6. b रूहिरोलकण्णु कलसें, a छवि, 7.b दिससंठियवंभसाल, a बंम्हसाल, Ca दिसवरहि a भेरी रेवेण, 10.a मं मंजरु, b विक्कउं, a हउ, lla तेहि, b भणिउं, b णिभीस, 12.b णउजोवण०, 13. a जह for जड़, a फणयाआरोहणु, 14.a यियमणु । 10 ( 4 ) la भणहिं, b गुणु, 2b भंति for होंति, 3 a तेंहि, b जणु for भणु, a काइ, b भणिउं, a पलाइ, 4 b मंतहि for मण्णहि, 5a एक्कहि, 6. b महायणु, 7. a तेहि, 8a पच्छत्ताव, b पच्छत्त पावा डहउं, 9 b तो ठिणकणु, b पेछेवि, a दियव रहि, 10.b दीसई, b ताम, lIla उंदुरुकुल, ० 12. a यणिहि । www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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