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________________ 5 विष्णुमुनि कथा आयण्णहि मित्त ण करमि गुज्झु वलि वंधण कारणु कहमि तुज्झु । वलिमंति तासु मुणिहणणकामु दिण सत रज्जु णियणिवहो पासु । तें मग्गिउ तेण वि दिण्णु तासु उवसग्ग घोरु जण्णहो मिसासु । अढविउ अकंपणमुणिहे तेण हरिमणिणा मुणिक ज्जएण । कवडेण वसुह वलि पच्छिऊण उपसग्गु हरिउ तं वंधिऊण ।। इय वलिवंधणु जयउ णिरुत्तु ॐणारिसु पुणु दियवरहि वुत्तु । लोयह वलि जेण पायालि गभिउ सो विण्हु णरामरणाय णभिउ । झायंतु ण सीसइ तं कयावि सुह थाणु होइ णरु सइ सया वि । एवं भणेवि णरवइसुएण पणिज्जइ सुहि चितियहिएण । धत्ता- णिसुणिउ परहु पुराणु मित्त वियारिज्जंतउ । णाह पुराणउ चीरु लहुसयसक्करु जंत उ ।।२।। (3) 10 15 मार्जार कथा मणवेएँ पुणरवि पवणवेउ पभणिउ बहेण वढिय विवेउ । अवरु वि अजुत्तु लोइयपुराणु तुह दरिसमि उज्झिय णयपमाणु । एवं भणेवि संजणियमाय अलिउलतमालणिह भिल्ल जाय । चच्चरियचिहुर टट्टरियसीस गुंजहलणयण छिच्चरियणास । दढकदिणवच्छ भीसण पयंड कोतंडविहसिय वाहुदंड। विज्जाणिम्मिउ मज्जारु लेवि रुहिरेल्लकण्णु कलसए छुहेवि । उत्तरदिसि संठियबम्हसाल पइसेविणु कय भेरीरवाल । कणयमयवीढि मणवे उ चडि उ णं मेरुसिहरि णवनेह घडिउ । दियवरहिं एवि भेरीरवेण पुच्छ्यि ते पुवदिसाकमेण । (2) These two verses are given by sfHanfa in somewhat different _form, see 10.58-9. 1.b omits ।। तैरेव ।। 2.a मत्सकूर्मो, 3.a ते दश, 4.a of Mक्तं, 5.a अहयं, b विष्णुध्याई न, 6.b आयण्णहि, a कहमि, b कहंमि, 7.a दिण्ण, 9.a adds णवरऽट्ठगुणहि संजुत्तएण before हरिमणिणा, 10.b तें for तं, 11.b दियवरिहिं, 12.b लेह for लोहय, b गमिउं, b णमिउं, 13.b सइं, 14.a खगवइसुएण, a चित्तियहिएण, 15.b णिसुणिउ परहं, 16.b णाई पुराणउं, b मणुसयं० for लहुसय०, cf. for बलि-भागवतपुराण, मत्स्यपुराण, वायुपुराण etc. | Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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