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________________ दिव्वहारु ण देइ भणंतहँ सुमरइ वणिवर गुणई महंतहँ। 10 पत्ता- ता अच्छउ अज्ज ण मग्गियइ णियपरिवणु आणत्तउ । परपरमेसरि परमरसु अम्हहँ देइ णिरुत्तउ ।।५।। (6) णवर अवरवासरे तहो मुद्धहो देइ ण जाव ताव णिद्धाडिय जो सइँ मणइ ण पुच्छइ णाणी सुव्वे सुवगु वसइ विणु भरितए इय मुणेवि सयलु वि पुच्छिज्जइ पुच्छंतहो अण्णाणु पणासइ णाणे णरु सुहज्झाणपरायण जो अयाणु अहिमाणे भज्जइ मग्गिय तंवातं० वि दुद्धहो । चंडदंडषणचायहि तडिय। णासइ वत्थु वि सो अण्णाणी । उवलब्भ इ ण णवर विणु जुत्तिए । अलियवहाहि माणु ण रइज्जइ। हेयाहेयहँ णाणु पयासइ । झाणे सग्गमोक्ख सुहभायण । सो संसारसमुद्दि णिमज्जइ । 5 घत्ता- अह तोमरु भिल्लु अयाणगुणु वत्थु मुयइ तं चोज्ज ण वि । अच्छरिउ महंत उ एउ पुणु जुत्तु वि वज्जइ जं गुणि वि ॥६॥ 10 (7) ८. अगुरु मूढ कथा जिणवरणारविंदरयमहुयह अरु कहाणउ भासइ खेयरु । अत्थि एत्थु दिय मगहामडलु लहिं गयरहु णिउ णं अहंडलु । एक्कहि दिणि किर कीलए गच्छइ दूर आणु जाववि तो पेच्छइ । एक्कु जिणिय तुरुंगुअग्गड णरु वुच्छइ तो णियमंति णरेसरु । (5) 1.b वणिए, 2.b कि हउ व लंघमि, 3.a भणेमि, b रयणिहिं, 4.b छेहारदीउ, 5.b सुरहिं कुसुमहिं ओमालेवि, a कुसुमहि, a णियवयणहि, 6.4 थवेप्पिणु, b भणइं, 7.a परिच्छिउ, a हिययच्छिउ, b हियइच्छि, 8.b गावि, .b पभणइं, a मइ, a इठविओयं, 10.a भणंतहो, a गुणहु अणुत्तहु, ll.b मग्गियइं, 12.a अम्हइ । (6) la दुद्धहो for मुद्धहो, b मग्गिय तंवु वि. 2.b जाम ताम णिद्धाडिय, b घणघाएँ, a ताडिया, 3.a सइ, b अण्णणी, 4.b वणु, b भंतिए, b णित्तिए for जुत्तिए, 5.b मागु णउ जुज्जइ, 6.b हेयाहेयहु, 7.a णर, 8.a संसारे समुद्दे णज्जइ, 10.b जं गुणु । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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