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________________ तं लएवि रुक्ख वालु अप्पियं पवेवि तस्स दिगु णिव्वियप्पएण अम्वयस्स मूलु छिण्णु ताम वुत्तु वाहिएण भक्खिऊण अंवयाई एम ओल्लिऊण जाम ण ताहँ वाहिओ हु पत्तु जत्थ सामिसालु। तें पुणो कुमारयस्स। भक्खियं कुमारएण। णंदणस्स अग्गि दिण्णु। अम्ह काइँ जीविएण। देहिणे मुएहु का। अम्पयाइँ खाहि ताम। छंदओ समाणिओ हु। 10 घत्ता- सयलाण वि रोयणासु मुणिउ पुणु महिवालें वुत्तउ । जं दिण्ण कुमारहि चूयहलु तं मइँ कयउ अणुत्तउ ॥२॥ अह दिण्णु काइँ कि उ चूयणासु कम्माणुसारि वुद्धिहि पयासु हा हा कुमार पच्चक्ख मार हा हा कुलगयण मियंव पुत्त कुंडु विससिहिवसु तं अंबु पक्कु पडि सवणसुद्धि विरइसण जाम इय विलविऊण मोहें सुयासु इय भणिउ आसि जं तेणतित्थु इय पच्छायावाणलपलित्तु। अवियारिउ इय जाणेवि कि पि कि पुणु भवणयलि पसिद्ध णाम वुद्धिहे फलु पयडु वियारु मणिउ जयरायहो कि दिण्णउ हुयासु । हा हा अविवेइउ हउँ हयासु। हा हा णंदण गुणरयणसार । हा हा हे सुय सुय विणयवंत । अह कि अयालि गल्लिऊण थक्कु । 5 णिउ को वि किं वि भक्ख उ ण ताम । मा करहु डाहु विसमुच्छियासु । अज्ज वि पसिद्ध तं हवइ एत्थु । उज्झइ अवरु वि अविवेयवंतु । किज्जइ ण कज्जु तिलमित्तु जंपि। 10 किज्जति धम्ममोक्खत्थ काम । विणु तेण णरु वि पसुसरिसु गणिउ । घत्ता- जो वुहु विहवे विणु कज्ज ण वि णिउणमइए परिभावइ । सो णाम मित्तु परितुट्ठमणु अंधु सलोयणु णावइ ॥३॥ (2) 2.b त for ता, a has written इक्क अंवए हलम्मि , 4.a तें for तं b जेत्थु, 5.a रायण (in marginj for तें पुणो, 6.b दिणु, 7.a सो for सुउ, b मुओ, 8.b दिणु, 9.a ताव, b वाहिएहि, a काइ, b जीविएहि, 10.a अम्मयाइ, a काइ, Il.a एव, a जाव, b खाहिं, a तम्व, 12.a ताह बाहु बहिओ, 13.b मुणिउं, b उत्तउ, 14.b जं दिगु, a मइ, b कय। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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