SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 162
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३. तइअ संधि ५-६. पित्तदूषित मूढ तथा आम्र मूढ कथा आयण्णहो पुणु अवरु वि भणमि विवरीयभाव संजणणयरु पित्तजरेण को वि ण जरियउ सक्करघयपयपाणु पियंतउ माणसदुक्खें अइ आदष्णउ जिह सो तिह अवरु वि अण्णाणिउ इय भासिउ पित्तिलाहाणउ एत्थंग विसए चंपापुरवरु तासु सच्ववाहिहरु हियत्तें पेसिउ तेग भणिउ कि किज्जइ तो तें तं वणवालहो अप्पिउ णिउ पणवेवि कयंजलि हत्थे पित्तदोसु णिक्किट्ठ। गुणदूसणु जिह दिट्ठ उ ।।छ। णवर कुसल विजहिं उवयरियउ । अइ महरु वि कडयउ भासंतउ । पभणइ णिवु काइँ महु दिण्णउ। 5 जुत्तु अजुत्तु भणइ अहिमाणिउ। णिसुणहि एवहि चूयकहाणउ । णिवसेहरु णामें तहिं परवरु । अंपयइ तुवंगहि व मित्तें। एक्कु केम किर सइँ भक्खिज्जइ। 10 ___ करि अइरेण रुक्खु इय जंपिउ । पुणु पभणेउ पसाउ परमत्थें । घत्ता- अह तं रुक्खाउ वेउ कुसलु लेविण सो वणवालु गउ । तें वरिसें तइयए अम्वतर दलकलगुंदिहि सहिउ कउ ॥१॥ (2) ता णहम्मि पक्खि को वि जाइ जाम सप्पु लेवि। ता विसस्स विदु तम्मि झत्ति पत्तु अंवयम्मि। तेण पक्कु अंबु एक्कु भूयले गलेवि थक्कु। (:) 1.b आयण्णहुँ, b मित्तहो सोसु, b णिकिट्ठउ, 2.a संजणणपर, b जिह, 3.b पित्तजणेण, a विज्जहि, 4.a पाण b कडुंयउ तारांतउ, 5.b माणसंदुक्खें अइआदण्णउं पभणइं, a ण्णिव, bणिव, b दिण्णउ, 6.b भणइं, 7.b पित्तिल्लाहाणउं णिसुणहिं एवहिं चूयकहाणउं, 8.a adds वसइ before तहि for तहिं, 10.b भणिउं, a एक्कु a सइ, 11.b inter. तें & तं, a अप्पउ, a करिइरेण, 12.b पणिउं, 13.a वेय for वेउ 14.a तइए, b फलदलगुंछहं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy