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________________ २७ (24) ४. व्युद्ग्राही मूढ कथा पुणरवि खग णिवणंदणु पभणइ एक्कगाहि कह दिहगणु णिसुणइ । णं दुक्खारिहे दुद्धरु राणउ ता सुपुत्तु जायंधु अयाणउ । कडयमउडकुंडलकेऊरहे दिणि दिणि वंदिय णहो दिहि पुरहि । देइ जाम सो मंति पघोसइ णिव तुह सुउ वसु चाएँ णासइ । ना दुद इ पभणइ णउ भुंजइ जइ तहो णउ आह णउ दिज्जइ। 5 ताम लोहविरइ उ तहो मंतें अप्पिउ भूसणु व यकुलसंतें । भणि उ कुमार कुलग्गयभूसण मा कासु वि दिज्जसु कुलभूसण । एयह चाहँ रज्जु पणासइ लोहाहरणे इय जो भासइ । तहो पहारु इय दंडे मुच्चइ एम करेमि कुमार वुच्चइ । अह तं लोहमयं जो पभणइ तं तड त्ति सिरि दंड पहणइ। 10 पत्ता- जो गहिउ अजुत्तु वि णउ मुचइ वुहवु झाइउ रूसइ । हरिसेण वि वज्जिउ गुणरहिउ सो दुग्गाहिउ वुच्चइ ।।२४।। इय धम्मपरिक्खाए च उवग्गाहिट्ठियाए चित्ताए । वुहहरिसेणकयाए वीउ संधी परिसमत्तो ॥छ॥ श्लोक १३३०॥छ।। * ** (23) 1.a भणिउ, a ख महो, b खमहि, 2.b पुच्छइ, a परभणहि, b पभणई, a मुणहि, b मुणइ. 3.a सव्व बिडुयवयणु, 4.b भणइ, a वंचि अप्पाणउ, b पहिएहि समाणउ, a संमाणउ, 5.a.b वयंमि, b मुउ for मउ, 8.b पइ for सो 9.a तुहु, b जाणहि, b मइ, 10.b पभणइ, a कहि इउ 11. विघयरु, b सुहि संगहो, a ण्णेमि, b मई 12.a एव, a ययविवेय, 13.b मण्णइं, 14.a सच्च, b भण्णइं । (24) 1.b युणरवि, a खगवइ, b पभणई, 2.b दुखारिहि, b रागढ, a जायंध, b आयाणउं, 3.b केऊरइं, b पूरइ, 4.b ता for सो b, 5.b पभणइं, a अहारणउ, 6.a ताव, 7.a कुमार, a कुलग्गयभूसणु, b कुला गयभूसग, a कुलभूसणु, 8.a एयह चायं, b लोहाहरणइ इह, 9.6 करेपि कुमार मुच्चइ, 10.b पभणई, 11.a आयउ, 12.b सीसइ for वुच्चइ, a after ॥छ।।2811, 13.a omits चित्ताए, 14,a omits वीउ, a परिसेउ for संधी, b परिच्छेउ समत्तों ॥छ। संधि ॥2॥छ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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