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(17) तो पुत्लें तं वयणु सुगविण
जंपिउ णियपिउपय गणवेप्पिणु । ताय देहि आएसु ण व कनि __ सारमिण पाणहि ण सकमि । ता वंकेण पुत्तु गवतंदहो
जीवं तेण पुत्त मइँ खंदहो । णउ अवयारु करेविण सक्किउ एव हि णियहिय उल्लए तक्किउ । मउ मइं पच्छिमरयणिहि गोविणु मेल्लहि कंवलीए वढेविणु। वइसारेवि तहो घेतब्भतरे
णि पमहिसीउ घल्लि पासंतरे । सो पुणु मइं गोवालु गणेविणु दंडे हगइ झत्ति आवेविण । तुहुँ पुणु एविणु रोसें कंपहि मारिउ मज्झ ताउ इय जंपहि। जें णिवइ एतहो अत्थु लइज्जइ महु सग्गत्तहो दि हि उप्पज्जइ । इय वोलंतु वि पाण हि मक्कउ वृत्तु पवंचु ता सुपुरतें कउ ।। पत्ता- खंधु वि विभाडिउ राउलेण वं कु ण रयदुहु पत्तउ ।
अवरु वि णरु वरसंतावयरु कवणु ण तत्तउ दुक्खें ॥१७॥
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(18) ३. मनो मह कथा पुणरवि खगवइगांदणु भातइ मूढ कहाणु णिसुणे दिय सीसइ । इह कंठोठ्ठणयहे गुणरिद्ध उ भूयमइ त्ति विप्पु सुपसिद्ध उ । वालत्तणहो सत्थअभासे
थिउ पंचास वरिस सुइघोसें । वुडढ वि विप्पहिं गणि पभणेविणु जण्ण णाम दिय सुय मग्गेविण । परिणाविउ पुणु मंदिरु सिद्ध उ दिण्णु तासु धणकणयसमिद्ध उ। 5 तहिं जण्णाए सहिउ जा अच्छइ दियडिंभहँ सुइसत्थु पयच्छइ। ता विज्जत्थि उ एक्कु समायउ जण्णु वटु णामें विक्खायउ। भणिउ तेण सो पणविय भावें सिक्खमि विज्जउ तुम्ह पसाएँ । एम भणंतु तेण सो इच्छिउ णावइ णिययमविर हु पडिच्छिउ । जण्णए जण्णवट्ठ मणे भाविउ सुहणिहाणु दइवें दाविउ । 10 घत्ता- सो विहिमि सुपेसणु जा पढइ वेउ ताम भुयमइहे ।
पट्ठविउ लेहु महुरादियहि जण्णविहाणा जिउणमइहो ।।१८।। (17) la पुणु for पय, 2.b पाणे हिं, 3.a णित्तंदहो, a मइं, 5.a कम्मलीए,
6.b त्तहो खेत्तब्भंतरे, b पसरंतरे, 7.a गणेविण्णु, b हणई, 8.b युणु,
a मज्झ, 9a हितहो, 10.a वृत्त, 11.b खंड for खंधु, 12.a तत्तउ । (18) 2.a कंठोठणयरे, b धणरिद्ध उ, a विज्जfor विष्णु, 4.a थेरु वि विप्पहि,
a पभणेप्पिणु, a पणाम, 5.b दिण्णउं तहो धणु०, 6.a तहि, 7.a जण्णवडूवइ णामें, 8.b पाएँ for भावें, a पसायं, 10.a जण्णवडुउ।
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