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________________ पत्ता- तापयणणवेपिगु पिउ भणइ उं मि विओयह वीहमि । परमणिलाल णिउ पर हरइ तं तुह गमणु ण ईहमि ॥ १० ॥ ( 1 1 ) इय भणेवि महल्लउ गामडेण अप्पण मुक्कु खंदावारु जाम कीलई अदि अणुरत्त चित्त भोयतंवोलविलेवणाइँ इकवि दिवस किर जहि जाम गिद्धण जाणेविणु जारएहि क्झति झाडे वि केम यिपिय-आगमणु मुणंतियाए तो संपत्तपुरिल्लएण विष्णविय णवेवि कुरंगि तेण १९ तो सुंदरि पभणइ महु मंदिरु सो कह एत्थ माइ भुँजे सइ ता कुरंग पभणड़ महु वयणें इय आण्णेवि अकुडिलभावए बहुधणी विता ताव सुच्छयउ धत्ता - तं णिसुविणु मंदिरु सुंदरहि जाएवि धुत्तिए बुच्चइ ! पिउ आयउ अक्किरंधि तुरिउ केम कुलक्कम मुच्चइ ॥११॥ (12) बुद्धा हि मुक्कु ते । जाहि समेउ कुरंगि ताम । ण मुर्णामयिकंतहो तणिय वत्त । तहो देइ णिच्च बहु णिवरुणाइँ । कणसेसु विणवि उवरियताम । तपय आगमणासं किएहि । परिपक्क पंथि थिय बोरि जेम । किउ पयसियमियतिय वेसु ताए । णियपुरिसु पुरउ पट्ठविउ तेण । वद्धाविय माए पियागमेण । Jain Education International तु कंतो उ णयगादिरु | रद्धरसोइ विहल जाएसइ । भुंजइ उक्कोइ मणमयणें । कय वहुरसरसोइ गयगावए । हुलहुहिं धरिणि घरु आयउ । 10 S 5 ( 10 ) 1.2 गहवई इयरएं, b सहुं, b ० कामभोयई, 2. b दियह जंत, a omits वि, b याणइ, 3.b omits वि after सो, a जावहिं, a पुरिल्लएहि पिय तावहि, 5.b आएसमि, b चकालें, 6. b कवडसणेह, 7. b मयणसरहि, 8. b गई, a दुख, 9. b. पणवेविणु, b भणई, a हउ मि, b विउयहां 10.b गि पई, b तें for तं । For Private & Personal Use Only 15 4. a •विलेवणाइ, (ll) 1. a तहि, 2. b अप्पुणु a जाव जारेहि, a तात्र, b वर for वहु, a णिवसणाइ, 5 a जाव कणसेस, b ण, 3 उच्च रिडं, a ताव, 6. b जारएहि, 7. b मुक्की, a केव, a पथि, a जेव, 8. नियंतियार किय, b inter. पिय and तिय, 10.b विणा for विष्ण, a वद्धविय, 12b पहु for पिउ, a केंव कुलकमुच्चइ | www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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