________________
१. रक्त मूढ कथा
तो दिएण भासिउ सई इच्छए मूलकहाण कहेज्जसु पच्छए । कहि ता कोऊडल हो णिहाणउ जिह वित्तउ दहपुरिस कहाणउ । तं णि पुणेवि भणइ खगणंदगु दसण किरण विच्छुरियणहंगणु । इत्तु दृछ म ढउ दुग्गाहिउ
पित्तवाहिपु णु चूयविरोहिउ । खीरागरुचंदण मुक्खाविय
इय अण्णाण दह वि संभाविय । 5 एयह मज्झे णडम साहिज्जइ रेवादाक्खिणयडि णिसुणिज्ज इ। सामंतवरु तेत्यु वहुधणी
णिवस इ गामडु वहुधण्णी । पढम घरिणि जिह णामें सुंदरि तिह रूपं सीले ण वि सुंदरि । अवर तासु मणहरतणुअंगी पीवरथण णामेण कुरंगी। पढम हीणजोवण जाणेविण
इयर तरट्टि जुवाण गणेविणु। 10 रत्त विरत्तु कुरंगिहि कंतहो ण गणइ कि पि विडंतरि जं तिहि। दुच्च रियह भरियह खल खुद्दइ णिभच्छिउ णियकतु कुरगइ । हंसावराइ पवंचु करेविणु भणिय तेण णियअद्ध लएविणु । घत्ता- अवरहि घरि णिय पुत्ते सहिया अच्छहि णिए सुहभायणि ।
तं तिह करेवि थिय सुद्ध मई चितेविणु णियकम्म मणि ।।९।। 15
(10)
गहवइ इयरए सहु अच्छंतउ इट्ठकाम भोयइ भुंजतउ। दियहि जंति ण वियाणइ जइयहु राए वि जयजत्तकय तइयहु । तेग वि सो वि हककारिउ जाणहि । भणियं पुरिल्लएण पिय तावहिं । णिच्छल्लियच पयगोरंगिए
खंदावारहो जामि कुरंगिए । वणियसरिरु मयणसरजालें
आवेसामि अहरेण विकालें। 5 तं णिसुणे विणु णयणजलोलिलय कवडसणेहि कुरंगि पवेल्लिय । पई विण महु विरहम्मि पलिण्णइ तणु मसणसरहि तिलु तिलु कप्पइ । वरि तुह अग्गिइ मरमि ण अच्छमि दीह वि तुय दुक्खु ण समिच्छमि । (9 1.a सइ, a मूल कहाण, 2.a adds प after ता, b कहाणउ for
णिहाणउ 3.b भणइं, 5.b ए for इय, b दह दह मि, 7.b सामंतउरू, b धणी णिवसइ, 8.b जिण for जिह, 9.b वर for मणहर, 10.a मण्णेविणु for जाणेविणु, a गणेप्पिणु, 11.b गणइं, 12.b दुच्चरियइं भरियई खलखुद्दए णिब्भच्छइ, b कुरंगई, 13.a हंसावइ, a पियअद्भु, 1..b अवर है, b सहियं अच्छहि, a पिय, 15,a सुद्धमई ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org