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________________ गउ आहीरदेसु पिउरोसें भाणि तेण नियणयणहि दिट्ठउ मिरियहँ रासिउ जिह महुमंडलि छेत्तकुडुंविएण ता वृत्तउ किज्जड़ इयमुत्र विण्णत्त किज्जइ दो दो पोल्लिउ मुट्ठिउ एयहो तं विरइउ साधम्मे करणें सच्चए वोल्लिए जहि एही गइ इय चिंतंतु स एसहो गच्छइ तहि मि तेण पुणु एइउ भासिउ म अहिरदेसि सइ दिट्ठउ उसहकारणि चणय ण लब्भहि तेत् सो वि दंडतें पाविउ १७ धत्ता- तो कणवं टावण करणु तहि भगइ एहु धुत्तति । अम्हाण देसु उवहसइ खलु वंधहु किं बहु श्रुत्तें ॥७॥ यह रासिउ पेच्छिवि रोसें । जं के विण कयाए विसिट्टउ । तिह इह पुणु चणयाण य खलि खलि । 10 (8) Jain Education International asदोसरूवाण णिरुत्तउ । उवहासागुरुउ विरइज्जइ । सिरि दिजंतु अलिअविविवहहो । चितइ गहवइसुउ सिरहणणें । वसउ मारि तहि णउ महुयरगइ । जाता मिरियह रासिउ पेच्छइ । चणयाणं एव हुउ रासिउ । तहि मिकरणु पभगइ झुट्ठउ । तहि कहि किर रासिउ उवलब्भहिं । नियमुक्यदुखखें संताविउ । धत्ता- अवर विदहपुरि सा अस्थि जइ तुम्ह मज्झि तउ वीइमि । सच्चं चिय कहिउ ण सद्दहइ तेण दियंद ण साहमि ॥८॥ 5 (7) 1.6 पभणई, 2.b परपेसयर, 3 a गिहि and in margin अज्ञानी, a o जलियहि अहिमाणहि, 4. b तणउ, 5 b भणई, b जाहिं, b कहाणउं पर्णाह 6. b तो, 7.b णामि, a तहि, a वगहवइ, महुयरकगइ, 8.b पडरोंसे, b चणयहे, 9.b ०णयणहिं, a काया वि, a ण before सिट्ठउ, 10. मिरियह, a चणयाणं, a omits य, 11.b भणई, 12.b ध 10 (8) 1.a छेत्तकुडंविएण, b दंडुदोसरूवण, 2.2 उवहासुणुरूह, 4. विरयउ सापक्ख करणे, b सिरिहरणें, 5.b मारि णउ तहिं महुयरगई, 6.b मिरियहं 7. a तहि बि, 8 b मई, b सई b पभणई, 9 a लम्भहि तहि, a उवलब्भइ, 10 a adds वि before सो, a दंडु तें, 11.a जई, a ता for तउ 12.a सट्ठहहि, b दिइंद । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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