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________________ तओ सुठु रुट्ठे भट्टेण पुट्ठ तुमि किं पयंडेण रुक्खेण भुत्ता किमुग्गीणतारुण्णगव्वेण भग्गो समत्थत्वेईण भट्टण ढाणे अलं ता इमेणालजालेण धुत्ता पत्तूण डंभं पसाडेह कज्जं तभासि तेहि रोडेहिं वृत्तं ण ण वि दोसेण हं भंतचित्तो पुणोत्तं दिएणेरिसा कत्थ दिट्ठा - यानंति एवं भुयं गप्पयाउ तो वाइइ मयतिमिर दिवायरु जाणमि परपेसणरयणरवर सहसा विरइयकज्जाण णिहि सोलह मुट्ठिहित कहाणउ दियवरु भइ तं पिजिह जाणहि ता माणवेउ भणइ सोक्खालउ भमरु णामु तर्हि विसइ गिहवइ १६ (6) घत्ता - अहवा जइ जाणहि तुहुँ मि भणु कडयमउडकेउरहरा । भारहे पुराणि रामायण विणीय कम्मकर कहिमि परा || ६ || एवं वह चेट्ठियं सिट्ठ इठं । अलंकारदप्पेण किं सपउत्तो । किमेण रूपेण उम्मग्गलग्गो । करे भं रिसद्देण हं तं णियाणे | पियट्ठाण मज्झम्मि मायाण जुत्ता । 5 किमुपाइयं अज्ज लोयाण चोज्जं । जुतं परंजेवि अठाणचित्त । खेडं लक्कडं विक्किउं एत्थ पत्तो । तणं विक्कता पुरतं पइट्ठा । फुडं छंदु एसो भुयं गुप्पयाउ । Jain Education International (7) तं सुणेवि पभणइ खेरु । किंतु भएण ण पयडमि दियवर । कोवजण जलियहिं अहिमा गहि | माहुजिउ दुखणहागउ | सोलह मुट्ठि कहाणउ पभणहि । अत्थि गामु मलए संगालउ | तासु पुत्तु णामे महुयरगइ । 10 ( 5 ) 1. b छद्दंसणाई, b पुरे वरे, b० बह्यणाई, 2a णिच्चुच्छवि, b हम्मे हम्मे for विविधम्मे, 3b कं वायं, a अपुब्बु, 4. णियसत्तसुएण, b तउ, a णाउ मिण, b अण्णवायहु, 5 b परजाह, विहंजणउ, 6. विहरिणइ धावंतयाहं, a मुणहु पियकतयाहं, 8. aणियेवि, a वाइउ, 9.b केवट्टउ a घंटहे, 10 b भू भासणयँ, 11. a हेमारुणे सिरिट्ठिए b माणसठिण तुम्हs, b दुण्णउ, 12.b उत्तिन्नउं । 5 ( 6 ) 1.b घुटं, a रक्खेण, 3.b ०गव्वाण, a किएण for किमेएण, 4. a करे हरिसंजेण वं हं णयाणे, 5.a धुत्तो, a जुत्तो, 6. b पमोत्तुण, a पसाहेहि, 7.a तेण रोडेण पुत्तं b यट्ठाण, 8 b भव्वचित्तो, b खड, a विक्किउ, b भयँ गप्पायाउ, 11.b जाणहिं, a तुहु, b० केउरधर, 10. भुअंग b 12.b पर । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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