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पुन मगवेयरूउ पिच्छेविणु अवरोप्पर पभणहि वि हत्तेविणु । अम्ह भतिभावें रंजियमजु
सइ पच्छक्खी हुउं णारायणु । जय जय विहु विण्हु पर मेसर लोयणिमित्तु णिहयअसुरेसर । पुडविहि एम मणंत लुढंता
सम्भावे गीयाउ पढ़ता। अवरहि भणिय काइ किर पहु विण्हु चउन्भुउ कि ण वियप्पहु। भवहि केवि एहु वंभु पहाणउ अवर भहि वंभु चउवस गउ । इयत्वेण हवे सइ संकह
अह तियच्छ सो लोया संकरु । इंदु वि सो सहसक्खु पसिद्ध उ कि ससरीरु जइ वि मयरद्धउ । अज्ण भ गहि किमणेय वियप्पे एहु णउ जाणिज्जइ विणु जप्पें । तो दियपवरें एक्कें वुत्तउ
सरहु णिय आगमणु णिरुत्तउ। घत्ता- कि तुम्हइ कवणु वाउ करहु भेरीघंटावायगु ।।
वायं अजिगं तेहिमि कयउ कि कणयासणि रोहणु ॥४॥
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(5) चत्तारि वेय छदसणाइ
इह पुरवरि रंजियवुहयणाइ । सबलु वि जगु जाणइ हम्मे हम्मे णिच्चुच्छव विरइय विविहधम्मे। तुम्हइ पुणु किं वायहु कुणेहु कि कि अउव्वु अवरु वि मुणेहु । जियसत्तुसुएण तो भणियं
णाउ विण अण्णवायह मुणियं । परजाणहु वाउ पहंजणउं
जो पयड उ रुक्ख विहंजगउं । वेउ वि हरि णइं धावंतयहं दसणु वि मुणहुं गियकयंतहं । इह दुण्णि वि दुग्गयतणवणं
गिण्हेविणु लक्कड़भारमिणं । आइय गुरु तूर णिएवि मए वायउ णउ जायए वायं मए । एव दुहो केवडउ भणेवि
णिसुणियउ सददु घंटहो हणेवि । कोउहलेण कणयास गयं
आरूढ उ मि भा भूसणयं ।
10 घत्ता- जइ मइ हे भासणसंहिएण तुम्हइ भावइ दुण्णउं ।
तो एत्थु ण अच्छामि खणु वि हउ इय भणेवि उत्तिण्णउं ॥५॥ (4) 1.b मगवरूउ, b वईणहि पियसेविणु, 2.b सइं, 3.a सिहय for णिहय,
4.a एव, a ससावे for सब्भावे, 5.a अवरहि, b किण्ण, 6.b भणहि, b पहाणउं 6.b भणहिं बंभु वि चउ, 7.b लोया भंकरु 8.a इंदु सो वि, a सरीर उ, a omits वि, 9.a अण for अण्ण, b किमणेण, b ण for ण उ, 10.b दियमउरें, Il b repeats घत्ता- 11.b के for किं, 12.b कणयासण (अमितगति धर्म 3.66)
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