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________________ जीविएण सहि किं अकियत्यें जंपs अवर जासु सिरिकट्ठई भहले कील सो महु जोव्वणे अवेण सुजोव्वणसहिएँ हि अंतरगुणु फरहण सहयरु अण्ण भणइ सलोणु अइसुहव आलि आलि एहु उपरि वटुइ पियविरहेण हियवर फुट्टइ सच्चउ लोयाहाणु परिद्धउ अह जंपरनिमित्तु सई किज्जइ इवाइँ णिसुत समासए तेत् पितणकट्ट एप्पिणू ७ कवीले मणवेउ वइट्ठउ तो दियवर णिसुणिय भेरीरव १४ घत्ता - अवर भणई हलि अण्णभवे भइ तउ चरण चिण्णउ । कमोड पुच्छंतियहि कुमरिहि वसणु ण दिष्णउ ॥ २ ॥ जहिं फंसु ण एयह अत्यें । तासु जि अंगइ मज्झु मणिइ । अहो मुय घलेज्जउ सववणे । (3) किं वण्णमि सोहग्गे रहिएँ । आउलिहुल्ल हि रमइ ण महुयरु । दीसह वे विणाइँ ले माहव । जहु दंसगे रइसलिलु पयट्टइ । तल्लोवेल्लिसरीरहो वट्टइ । खोडससे व वाडउ रुद्ध उ । कम्मु अ भुत्तुकेम तं खिज्जइ । वंभसाल जा श्रिय पुव्वासए । टारी पाएप्प | इंदु व पेच्छ लोएँ दिट्ठउ । हिमाल सिहिभइरव । धत्ता - वायं अहमहमिय करमि एम सव्वं जपता । Jain Education International कणयासणसिहरारू जहि खयरु तहि संपत्ता ॥ ३ ॥ 10 5 ( 2 ) 1.6 कज्जाइंभु फलहिं, 2.6 लतावियमणु, 3b हररूवें, 4. b वरि, a माइ for मार, b omits कह, 5.6 वंइंसि, b एयहं कुमारहूं, 6.2 गणेमि for लहेंसमि, 7. b मणई, a मोल्ल, 8. a जहि, b एयहो, 9.a कट्ठइ, a मणिटठइ, 10.b कीलउं, b अण्णई, lla अवरे पभविउं, a अवरे भवे for अण्णभवे, 12. a मोल्ल, b कुमरेहिं, b दिण्णउं । For Private & Personal Use Only 10 (3) 1.b वण्णें, 2.a जहि, a आमलिहुल्लाह, b भमई for रमइ, 3.b अण्णई साले, 4.b writes number 2 for the repetition of the word आलि 5.b ण after oविरहेण, 6. b खंजेसएव ण वाडउ for खोडससे व, 7.a oणिमित्त सइ 8 a बयणें, 10 b णिविट्ठउ for वउ, b लेयहिं, 11.b णिसुणेवि ० जलणसिय भइरव 12. a एवं सव्व, 13.b जहिं, a खेयर । www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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