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________________ २. बीओ संधि ___(1) 5 अवरहि दिगि दिणमणि उग्गमणे ते त्रिणि वि कुसुमउरहो चलिया। किकिणिरगंत जाणहि खयर गय णायरणरपउरहो ॥ छ । तहिं पुरवाहिरि अवसरहिं जाम मणहरु उववगु पेच्छंति ताम । हिंतालतालताली ललंतु कंकेल्लिवेल्लिपल्लव चलंतु । अहिणवहरियंदण लय संहंतु कप्पूरसुरहितरु महमहंतु ।। तहिं थाय वि विज्जावलवलाई णाणारयणावलि उज्जलाई। गह जाणइ जाणइ संवरे वि कमणीययं रइरूवइ करेवि। मणवेउ भणइ भाणयउ करेहि मउणेण मित्त मइ अणुसरेहि । तिह कयउ तेय संचलिय वे वि विज्जाकयखडलक्कहइ लेवि।। मणिकइयमउडकुंडल हरहिं पुरवरपइसंतह णरवराहँ। 10 जंपति सविब्भम के वि एम एरिस विक्कट्ठतणवहहिं केम । लक्खिज्जइ जणियसुमूढदेह परमत्थु अहव किं कीलएह। घत्ता- अवर भणहि जेम मणिमउडहर णरविक्कहि तणकट्ठहि।। तहो तणिय तत्ति ण वि परिहर इ जो सो पावइ कट्ठइ ॥१॥ 14 (2) इय मुणेवि परतत्ति ण किज्जइ । कज्जरंभु फल हि जाणिज्जइ । एत्यंतरे पुरवरणारीयणु वोल्लइ मयणाण लुभावियमणु । हले हले कामएउ हरएवें जणु जंपइ दड्ढ कोव णवर मार विहि रूवइ आयउ णं तो पीडइ कह महु कायउ । क वि भासइ वयंसि सुकुमारहु एयह दासिह वे उ कुमारहु । 5 आलावेण कयत्थ हवेसमि पयपक्खालणफंसु लहेसमि । का वि भणइ हले जइ विक्कइ तणु पुच्छि पयच्छमि मोल्लु जइ वि । (1) 1. b omits चलिया, 3.a तहि, a अवयरहि, a मणहर, 5.b महुमहंतु, 6.a तहि, b थाए, a °बलाइ, a उज्जलाइ, 7.b जाणइं जाणई, b कमणियइं रइरूवई, 8.a करेहि, b मई अणूसरेहि, 9.b ०कयखडं, 10.a णरवराहे कुडलवराह, ll.b सविभय, b कंट्ठ, 12.b लक्खिज्जहि, 13.b मउडधर गरविक्कहि तणं कट्टई, 14.a सत्ति, bणं वि, b कट्ठई । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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