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ततुह दरिसमि पच्चूसयालि वसिऊण अज्ज मंदिरि बिसालि। 5 तो तहि विण्णि वि गुणगणमहंत मणवेयगेहे सह सत्तवत्त । दिव्वहिं आहारहिं वहुरसेहि
णं तरुआहारहि बहुरसेहिं । विहि पाविय पोसिय सुहगणाई लइयइ तंवोलविलेषणाई । धत्ता- आलिगिवि हरिसेण पंडियविज्जवियाणा।
रयणिहि सहयरसुत्त हरिवल अणुहरमाणा ॥२०॥
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इयधम्म परिक्खाए चउवगाहि ठियाए चित्ताए। वुहहरिसेणकयाए पढमो संधी परिछेओ समत्तो। ।।१।।
(20) 1.b भणिउं, 2.b भणहिं, 3.b न्हरमि, a णयणाइ, b तो, 4.b भणिउं,
a जे जेव भणिउ, 5.a तह, 6.a ते, b सत्तियत्त, 7.a दिव्वहि आहारहि वहुरसेहि, 8.a सुहिमणाइ, b लइयई, a बिलेवणाइ, 10.b adds |छ।। after ॥२०॥ ll.a चउवग्गाहिट्ठियाए बुह०, a बुहहरिसेणे, 12.a परिसं, a ॥छ।।१।। श्लोक १७८ ॥ छ ।।
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