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घत्ता- उत्तरसेढिहि सटिठ तहि णयरी उरवा गउ ।
दाहिणसेढिहिं अत्थि पंचास जि जणपुष गउ ॥ ३॥
तह पंचासह मज्झि सरिद्धी कामिणि व्व जणणयणपियारी जा सुरतरुउववणे जं विसालें परिहएसारसहंसख लए सियपायारमित्तिकंचलियए उप्परिय ण सोहइ सोहंती गोउरेण णं रूंदें वयणे भवणरयणणयणेहि णिहालइ मंदिरसिहरथक्कसिहित हें संचरंत माणिणि पब्भारे अइ सोहाजुय किह वणिज्जइ । घत्ता- महिहरपियउच्छंगे
वसइ तरट्ठि व कंत
णयरि वइजयंती सूपसिद्धी। जहि दीसइ तहिं सहइ जणेरी। अइ रेहइ णेत्ते ण वणीलें। मेहालए णं किकिणि मुहलए । पंचवण्णधयमालए धुलियए । कणयकलसउररुह दरिसंती । हसइ व तोरणमोत्ति यरयों। अहिनवतरुपल्लवकरवालइ। सोह देइ ण केससमूहें। चल्लइ णं णे उ र झंकारें। जाहि सुराहिब णयरि ण पुज्जइ । पउ भोय गुणवंती । रय गदित्ति दीवतो ॥४॥
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तहिं आसि राउ णामें जियारि
ण यदंडपहावे णिज्जियारि । पयडु वि खयरेसु ण खयरणाहु असिरोहरो वि लच्छीसणाहु । अपुरंदरो वि विवुहयण इठ्ठ
परिपालि यसज्जणु णिहयदुटु । अकुमारु वि जो सत्तीपयासु
बधवपरियणब्भुरि पूरियासु । अदिसागअविअणवरयदाणु
अदिणेसु विउग्गपयावथाणु। 5 तणुकतिपरज्जिय छणससकु
अणरायणमिय सामंतचक्कु । तरुणो वि विसयसुहरइविरत्त
अइहरिसमाणमणमोहचत्तु । समसलिलसमियणियकोवजलणु जिणमुणिपमाणकयपावख लणु। 8
b जो छंदो, a omits इव, 13 a • सीढहि, b सठि, a णयरियउर.
b०वण्णउं, 14.b जि संपुण्ण उ । (4) 2.b कामिणी व, a जा णयण०, b सुहइ, 3.a सुरतर०, 4.b ०हंसवमालए,
8.b भवणरयणयणेहि, a अहिणव०, 12.a पीय०, 13.a तरटठी, b रयणदित्त।
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