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________________ (2) इह जंवूतरु-लंछणदीवए भरहखेत अस्थि रवि दीवए सावयदिहियरु जिणवर वयण व ससरु सुरयवियड्ढ वहुवयणु व । विविहारामगामसीमहि ण सीमंतिणिकुलु सीमंतिहिं ।। सोहइ पुरणयरेहिं विसालउ हरगलकंदल णाइँ विसालउ । जच्चफलोहाणं दियविउलइ पिहिय दियं तुज्जाण इं विउलइ । हि मणहर खेयर विलयाहरे भमिरभ मरफुल्लिल्ललयाहरे जहिं मयघु मिराइ कलहंस इ रइरसबसई मुयहि कलहंमइ । कय गोमहिसिवसहणिग्घोसइ णंदहि बहुपयाइ जहिं घोसइ । पत्ता- तहि थि उ मज्झ पएसि गिरिवेयड्ढविसान उ । वहु सउण उलणिवासु सोहइ णाई जिणालउ ।।२॥ 10 जो उत्तंगो छत्तपयंगो दीहंगो णं सेसभुयगो। ण रणाहो इव वहु-मायंगो विविहकुसुमसरु णाई अणंगो। केसरिल्लु णावइ पंचाणणु तिलयसोह जुउ णं वेसाणगु । सुरसेविउ ग दससयलोयणु थियसारंगु णाई णारायणु । मेहु व वरणियं० रुप्पयमउ सोहइ वलहदु व धवलंगउ । कत्थ इ पोमरायर इरत्त उ सरयमेहु णं संझाजुत्तउ । कत्थ इ इंदणीलमणिसामलु णाई सुरिंदरिदु समयजलु । फलहंतरि अवलोइय मोरो देइ झडप्पं जहिं मज्जारो । जहिं रमणीयपए सहि र मणिउ किण्णरीहि सहुं चलहारमणिउ । सुन्यसुक्खु माणहि गेयंतरे हावभावविन्भमेंहिं णिरंतरे। 10 संचरंत अच्छरयणसारो जहिं सुम्मइ णेउर झंकारो। सालत्तयपयपायाउलउ जो सोच्छंदो इव पायाउलउ। 12 (2) 1.b लच्छण, b भारहखेत्तु 2.a सरसुवियठ्ठ, b सुरयवियर्छ, 5.b पिहियदियं तुज्जाणइ विउलइ ।। विविहदियतुज्जाणइं विउलई, a दियंतु उज्जाणइ, 6.a जहि, a भमिय०, a ०लयाहर, 7.a जहि, b मयघुम्मिराई, a रइरसबरइ, सुयहि, b मुहिं, 8.b वहुपयाइं ॥ bघोसइं, 9.b णंदउ०, for तहि थि उ, 10.a णाइ । (3) 1.b उत्तुंगो छित्त०, 3.b वेसायणु, 4.a थिउ, 6.a पोमराइ०, a जुत्तो for जुत्तउ 8.a जहि, 9.b जहि, bकिण्णरेहि, 10. a सोक्खु, b माणहिं गेयंतरो, a विब्भमहि, b जहि, 12.a पयउ for पय, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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