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णमो सुददेवदाए
सिरीहरिसेणविरइआ
धम्मपरिक्खा १. पढमो संधि
( 1 )
सिद्धि - पुरंधि िकंतु सुद्धे तणु-मण-वयणें । भतिज विचितिउ बुहहरिसेणें ॥ छ ॥
म- जम्म बुद्धिए कि किज्जइ तं करंत अवियाणिय आरिस चहुँ कव्व-विरयणि सयंभु वि. तिणि त्रि जोग्ग जेण तं सीसइ जो सयंभु सो देउ पहाण उ पुष्यंतु ण वि मा गुसु वुच्चइ ते एवंविह इउँ जडु माणउ कव्वु करंतु म वि लज्जमि तो वि जिणिदधम्म - अगुराएं मिस जि लिणि-जल - थिउ जलु
मणहर जाइ कन्बु ण रइज्जइ । हासु लहहि भड रणि गय-पोरिस । पुष्यंतु अण्णाणु णिसुंभि वि । चडमुह - मुहे थिय ताव सरासइ । अह कह लोया-लोय - वियागउ जो सरसइए कयाविण मुच्चइ । तह छंदालंकार विहीणउ ।
पत्ता - जा जगरामें आसि विरइय गानवधि । साहमि धम्मपरिक्ख सा पद्धडियावधि ॥ १॥
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तह विसेस पिय-जणु हि रंजमि । 10 बुहसिरि- सिद्धसेण सुसाएं अगुइ णिरुवम् मुत्ताहलु |
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Note: Numbers under Bracket ( ) indicate the numbers of verses and numbers without the bracket in lines represent the numbers of lines of the verses.
(1) a. begins with "ॐ
नमः सिद्धेभ्यः " b. begins with ॐ नमो वीतरागाय ॥छ । 2. ॥ १ ॥ for || छ || la मणहर b नरइज्जइ inter. भड and रणि, 5 b अण्णाण णिसुंभु 6. b जेणा, b ताम for ताव, 7.boवियाणउं, 9.b हउ, a जउ, b माणउं b ० विहूणउं, 10 b पिउजणु, 11a अणुरायई, b हिसिरि०, 12.b नलिणिदल० ।
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